
तोता घाटी गढ़वाल में दरारें
तोता घाटी की दरारों में मॉनिटरिंग के लिए डिस्प्लेसमेंट मीटर के साथ पूरा लैंडस्लाइड अर्ली वॉर्निंग सिस्टम लगाया गया है.
देहरादून। “तोता घाटी मामला” से आप संभवतः उत्तराखंड के टिहरी जिले में ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-58) पर स्थित तोता घाटी से संबंधित जानकारी का उल्लेख कर रहे हैं। यह घाटी अपने दुर्गम चट्टानों और ऐतिहासिक महत्व के लिए जानी जाती है। नीचे इसकी प्रमुख जानकारी संक्षेप में दी गई है:

तोता घाटी का इतिहास:
तोता घाटी का नाम ठेकेदार तोता सिंह रांगड़ के नाम पर पड़ा, जिन्होंने 1931-1935 के बीच टिहरी रियासत के राजा नरेंद्र शाह के आदेश पर इस दुर्गम क्षेत्र में सड़क निर्माण किया। यह क्षेत्र अत्यंत मजबूत डोलोमाइट चट्टानों से बना है, जिन्हें तोड़ना उस समय बेहद चुनौतीपूर्ण था। तोता सिंह ने अपनी पूरी जमा-पूंजी और पत्नी के गहने तक बेचकर इस सड़क को बनाया, जिसके कारण उन्हें भारी आर्थिक नुकसान हुआ। उनकी इस जीवटता के सम्मान में राजा ने घाटी का नाम “तोता घाटी” रखा और उन्हें “लाट साहब” की उपाधि दी। यह नाम राजपत्र में भी दर्ज है।

आधुनिक संदर्भ (ऑलवेदर रोड परियोजना):
- 2020-2021 में सड़क चौड़ीकरण: तोता घाटी में ऑलवेदर रोड परियोजना के तहत सड़क चौड़ीकरण का कार्य हुआ। इन कठोर चट्टानों को काटने के लिए आधुनिक मशीनों को भी कई महीनों तक मेहनत करनी पड़ी। इस दौरान मार्ग अक्सर बंद रहा, जिससे यात्रियों को वैकल्पिक रास्तों (जैसे नरेंद्रनगर-खाडी-देवप्रयाग) से 48 किमी अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ी।
- भूस्खलन की घटनाएँ: 2021 में भारी बारिश के कारण तोता घाटी में भूस्खलन हुआ, जिससे सड़क पर मलबा और विशालकाय पत्थर गिरे। सौभाग्य से, कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ।
- मूर्ति स्थापना की मांग: सोशल मीडिया पर तोता सिंह के सम्मान में उनकी मूर्ति और एक हवाघर बनाने की मांग उठी है, ताकि उनकी विरासत को संरक्षित किया जा सके।

भूगर्भीय महत्व:
तोता घाटी की चट्टानें बिना परत वाली (मैसिव स्टोन) हैं, जो अत्यंत मजबूत होती हैं। भूगर्भ वैज्ञानिकों के अनुसार, इन चट्टानों को तोड़ना बेहद कठिन है, जिसने उस समय और आधुनिक समय में भी निर्माण कार्य को चुनौतीपूर्ण बनाया।

अन्य संदर्भ:
यदि आपका प्रश्न “तोता घाटी” से अलग किसी अन्य “तोता” या “घाटी” से संबंधित है (जैसे बस्तर का “दगाबाज तोता” मामला या ताम्हिणी घाट), तो कृपया और स्पष्ट करें। उदाहरण के लिए:
- बस्तर का तोता मामला: 2022 में जगदलपुर में एक व्यक्ति ने अपने पालतू तोते के गायब होने की शिकायत पुलिस में दर्ज की थी, जिसे “दगाबाज तोता” कहा गया।
- ताम्हिणी घाट: पुणे, महाराष्ट्र में 2024 में भूस्खलन के कारण यह घाट बंद हो गया था।