
केदारनाथ
रुद्रप्रयाग। केदारनाथ धाम में अव्यवस्थाओं के बारे में भ्रम फैलाने के संबंध में तीर्थ पुरोहितों ने स्पष्ट रूप से नाराजगी जताई है और ऐसी गलत सूचनाओं का खंडन किया है। उत्तराखंड चार धाम तीर्थ पुरोहित महापंचायत ने इस तरह की भ्रामक खबरों को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। उदाहरण के लिए, 2023 में जब केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने की तारीख (26 अप्रैल) को लेकर गलत समाचार फैलाए गए, तो महापंचायत के महासचिव डॉ. बृजेश सती ने इसका खंडन करते हुए कहा कि ऐसी गलत जानकारी देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने की तारीख शिवरात्रि के दिन ऊखीमठ के ओमकारेश्वर मंदिर में तय की जाती है।
इसके अलावा, तीर्थ पुरोहितों ने केदारनाथ धाम में व्यवस्थाओं को लेकर बार-बार उठाए जाने वाले सवालों पर भी आपत्ति जताई है। 2023 में केदारसभा के अध्यक्ष राजकुमार तिवारी के नेतृत्व में तीर्थ पुरोहितों की एक टीम ने यात्रा तैयारियों का जायजा लिया और पाया कि कुछ कमियां थीं, जैसे पैदल मार्ग का सुधारीकरण और बर्फबारी के कारण देरी। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी चुनौतियों के बावजूद यात्रा की तैयारियां चल रही हैं और भ्रामक सूचनाएं फैलाना उचित नहीं है।
तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि केदारनाथ धाम की गरिमा और आस्था को ठेस पहुंचाने वाली ऐसी खबरें न केवल श्रद्धालुओं में भ्रम पैदा करती हैं, बल्कि धाम की पवित्रता पर भी सवाल उठाती हैं। वे सरकार और प्रशासन से मांग करते हैं कि ऐसी गलत सूचनाओं के स्रोतों की जांच की जाए और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो।
हालांकि, कुछ सोशल मीडिया पोस्ट्स में यात्रियों द्वारा तीर्थ पुरोहितों पर अव्यवस्थाओं, जैसे लाइन में धक्का-मुक्की या टोकन सिस्टम में गड़बड़ी, के आरोप लगाए गए हैं। तीर्थ पुरोहितों ने इन आरोपों को भ्रामक बताते हुए कहा कि वे यात्रियों की सुविधा के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं और ऐसी शिकायतों की जांच होनी चाहिए।
कुल मिलाकर, तीर्थ पुरोहितों का मानना है कि अव्यवस्थाओं के नाम पर भ्रामक खबरें फैलाना धाम की पवित्रता और श्रद्धालुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ है, और वे इसके खिलाफ एकजुट होकर विरोध करते हैं।