
CYBER FRAUD CA ARRESTED
चार्टर्ड अकाउंटेंट, जिसने करीब 35-40 शेल कंपनियां बनाई हैं.
दिल्ली। 750 करोड़ रुपये की ठगी का मामला उत्तराखंड एसटीएफ द्वारा दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार चार्टर्ड अकाउंटेंट अभिषेक अग्रवाल से जुड़ा है। यह एक अंतरराष्ट्रीय साइबर फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग का मामला है, जिसमें अग्रवाल को मुख्य आरोपी माना जा रहा है।
मामला क्या है?
- अभिषेक अग्रवाल की गिरफ्तारी: उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने 6 जुलाई 2025 को अभिषेक अग्रवाल को दिल्ली एयरपोर्ट से लुक आउट सर्कुलर (एलओसी) के तहत गिरफ्तार किया। वह पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट है और एक बड़े साइबर ठगी गिरोह का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है।
- ठगी का तरीका: अग्रवाल ने कथित तौर पर चीनी नागरिकों के साथ मिलकर भारत में 750 करोड़ रुपये से अधिक की साइबर ठगी की। यह ठगी फर्जी लोन ऐप्स, ऑनलाइन गेमिंग, और अन्य डिजिटल माध्यमों के जरिए की गई। इस रैकेट में कई फर्जी बैंक खातों का इस्तेमाल किया गया, जिसमें पैसे को लेयरिंग और साइफनिंग के जरिए विदेश भेजा गया।
- मनी लॉन्ड्रिंग: यह रैकेट मनी लॉन्ड्रिंग से भी जुड़ा है, जिसमें ठगी के जरिए एकत्रित धन को विभिन्न खातों और क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से विदेशी खातों में स्थानांतरित किया गया। इस मामले में 5,000 से अधिक म्यूल खातों का उपयोग होने की बात सामने आई है।
- अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन: जांच में पता चला कि अग्रवाल विदेश में बैठे हैंडलर्स के साथ मिलकर काम कर रहा था। वह चीनी नागरिकों के साथ मिलकर फर्जी खातों को संचालित करता था और इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप्स के जरिए निर्देश प्राप्त करता था।
जांच और कार्रवाई
- उत्तराखंड एसटीएफ की भूमिका: एसटीएफ ने इस मामले में गहन जांच की और अग्रवाल को दिल्ली एयरपोर्ट से पकड़ा। उनके पास से महत्वपूर्ण डिजिटल सबूत, जैसे चैट मैसेज और बैंक लेनदेन के रिकॉर्ड, बरामद किए गए हैं।
- अन्य आरोपियों की तलाश: पुलिस अन्य संदिग्धों की तलाश में है, जो इस रैकेट का हिस्सा हो सकते हैं। जांच में और भी खुलासे होने की संभावना है।
- प्रमुख सबूत: जांच में हजारों बैंक खातों के लेनदेन और क्रिप्टोकरेंसी खरीद से संबंधित 2,000 से अधिक दस्तावेज जब्त किए गए हैं, जिनका विश्लेषण किया जा रहा है।
पृष्ठभूमि
- अभिषेक अग्रवाल के बारे में ज्यादा निजी जानकारी सार्वजनिक नहीं है, सिवाय इसके कि वह एक चार्टर्ड अकाउंटेंट है। इस मामले ने यह सवाल उठाया है कि उच्च शिक्षित पेशेवर भी इस तरह के अपराधों में कैसे शामिल हो सकते हैं।
- यह मामला भारत में बढ़ते साइबर फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग के खतरों को उजागर करता है, खासकर जब विदेशी तत्वों के साथ साठगांठ की बात आती है।
यह मामला भारत में साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी के बढ़ते खतरे को दर्शाता है। उत्तराखंड एसटीएफ और अन्य जांच एजेंसियां इस रैकेट के पूरे नेटवर्क को उजागर करने के लिए काम कर रही हैं। यह भी संभावना है कि इस मामले में और गिरफ्तारियां होंगी और ठगी की राशि का आंकड़ा बढ़ सकता है।