
इंट्रानेट टावर, रुद्रप्रयाग
रुद्रप्रयाग। रुद्रप्रयाग जिले में मजबूत नेटवर्क स्थापित किया जा चुका है, जो हर परिस्थिति में साथ देने में सक्षम रहेगा. यह सब संभव हो पाया है जिलाधिकारी सौरभ गहरवार की पहल से. इसके साथ ही रुद्रप्रयाग ऐसा जिला बन गया है, जिसने अपना खुद का इंट्रानेट स्थापित किया है. इस नेटवर्क की सबसे बड़ी खासियत ये है कि किसी भी प्रकार की आपदा या अन्य विकट परिस्थितियों में बंद नहीं होगा.
यह वायरलेस सिस्टम रुद्रप्रयाग जिले के 250 किलोमीटर के क्षेत्र को कवर कर रहा है. खास बात ये है कि जिले के भीतर यदि कुछ भी घटित होता है तो यह नेटवर्क काम करता रहेगा. नेटवर्क से बात करने की सुविधा के अलावा डाटा भी दिया जा रहा है. इसे डिस्ट्रिक्ट डिजास्टर रिसोर्स नेटवर्क (DDRN) नाम दिया गया है. जो वायरलेस सेट पर काम करेगा, लेकिन मोबाइल पर डाटा चलाया जा सकता है.
इसके नेटवर्क ने जुलाई 2024 में केदारनाथ पैदल मार्ग पर आई त्रासदी के समय भी पूरा साथ दिया था. जहां अन्य कंपनी के नेटवर्क केदारनाथ पैदल मार्ग पर कोई काम नहीं करते हैं तो वहीं इस डिस्ट्रिक्ट डिजास्टर रिसोर्स नेटवर्क ने पूरा साथ दिया. जिसके चलते रास्ते में फंसे यात्रियों के साथ ही मजदूरों ने अपने घर संपर्क भी साधा. रेस्क्यू कार्य में भी यह नेटवर्क पूरी तरह से मददगार साबित हुआ. अब यह नेटवर्क पूरी तरह से स्थापित हो चुका है.
इस इंट्रा नेटवर्क को स्थापित करने में कोई बड़ी लागत भी नहीं आई है. न ही शासन और न ही केंद्र से फंड लिया गया है. बल्कि, जिला प्लान, खनन न्यास निधि आदि की धनराशि का सदुपयोग कर नेटवर्क स्थापित किए गए हैं. जिले के दूरस्थ क्षेत्र के स्कूलों को भी इस नेटवर्क से जोड़ा गया है, जिससे स्कूलों में भी पठन-पाठन की व्यवस्था बनी रहे.
दूरस्थ क्षेत्र के स्कूलों में पहुंचा नेटवर्क: डिस्ट्रिक्ट डिजास्टर रिसोर्स नेटवर्क से जिले के इंटर कॉलेजों को जोड़ा गया है. इंटर कॉलेजों में डाटा उपलब्ध कराकर छात्रों की ऑनलाइन कक्षाएं संचालित की जा रही हैं. पहले चरण में जखोली और अगस्त्यमुनि विकासखंड के करीब 36 इंटर कॉलेजों को डिस्ट्रिक्ट डिजास्टर रिसोर्स नेटवर्क से जोड़ा गया है.

जबकि, जल्द ही ऊखीमठ विकासखंड के इंटर कॉलेजों को भी इससे जोड़ा जाएगा. जिले के सभी कार्यालयों और ई-डिस्ट्रिक्ट कार्यालयों को भी इस नेटवर्क से जोड़ा गया है. ग्राम पंचायत स्तर पर पंचायत भवन में भी इस नेटवर्क की सुविधा का लाभ मिलेगा. जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में कोई अप्रिय घटना घटने पर तत्काल जानकारी मिल सके.
इन जगहों पर स्थापित किए गए हैं टावर: मोबाइल नेटवर्क का सेंटर आपदा कंट्रोल रूम में बनाया है, जहां से पूरी मॉनिटरिंग की जा रही है. इस नेटवर्क से करीब 36 स्कूलों को भी जोड़ा गया है और इनके टावर स्थापित किए गए हैं, जिनमें डुंगरी, बावई, राइंका तैला, राइंका जाखाल, राइंका जवाड़ी, राइंका पांजणा, बजीरा, राइंका त्यूंखर, बजीरा, तिमली, सकलाना, भीरी, चन्द्रापुरी, कार्तिक स्वामी, मणिगुह, घिमतोली शामिल हैं.

इसके अलावा चंद्रानगर, भणज, चिरबटिया, सकलाना, सोनप्रयाग, त्रियुगीनारायण, गुप्तकाशी, जग्गी बगवान, मनसूना, पैंज, लिनचोली, रुद्रा प्वाइंट भी शामिल हैं. इस नेटवर्क के स्थापित होने से जहां यात्रा के दौरान कोई आपदा घटित होने पर तत्काल जानकारी मिल जाएगी. वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में भी कोई अनहोनी पर संपर्क साधने में मदद मिलेगी. कुल मिलाकर यह नेटवर्क आपदाग्रस्त जिले के लिए किसी बड़ी सौगात से कम नहीं है.
केदारनाथ यात्रा पड़ावों में भी स्थापित है नेटवर्क: डिस्ट्रिक्ट डिजास्टर रिसोर्स नेटवर्क से केदारनाथ धाम, पैदल यात्रा मार्ग के अलावा मुख्य पड़ाव सोनप्रयाग, सीतापुर आदि जुड़ चुके हैं. जबकि, केदारघाटी में स्थित 10 से ज्यादा हेलीपैड पर भी यह नेटवर्क कार्य कर रहा है. इस नेटवर्क के जरिए जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे अच्छी तरह से कार्य कर रहे हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि इस नेटवर्क की क्लियरिटी अन्य नेटवर्कों की तुलना में काफी अच्छी है.
केदारनाथ यात्रा के बेहतर संचालन में डिस्ट्रिक्ट डिजास्टर रिसोर्स नेटवर्क से प्रशासन को अच्छी मदद मिलेगी. हर समय यह नेटवर्क कार्य करता रहेगा. पहले देखा गया है कि केदारनाथ धाम समेत पैदल मार्ग पर बारिश या बर्फबारी होने पर अन्य नेटवर्क घंटों तक या फिर कई दिनों तक के लिए गायब हो जाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.
जहां नेटवर्क की सुविधा नहीं, वहां लगाए टावर: रुद्रप्रयाग जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि यह इंट्रानेट आपदा की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण साबित हो रहा है. जिले के दूरस्थ क्षेत्र जहां नेटवर्क की सुविधा नहीं है, वहां-वहां इस नेटवर्क के टावर लगाए गए हैं. जिस काम में प्राईवेट कंपनियां फाइबर केबल बिछाकर करोड़ों रूपए खर्च करती है.
जहां नेटवर्क की सुविधा नहीं, वहां लगाए टावर: रुद्रप्रयाग जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि यह इंट्रानेट आपदा की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण साबित हो रहा है. जिले के दूरस्थ क्षेत्र जहां नेटवर्क की सुविधा नहीं है, वहां-वहां इस नेटवर्क के टावर लगाए गए हैं. जिस काम में प्राईवेट कंपनियां फाइबर केबल बिछाकर करोड़ों रूपए खर्च करती है.
इसके अलावा आपदा के दौरान बहुत समस्या देखने को मिलती है. वहीं, डीएम गहरवार ने जिले के ऐसे स्थानों पर टावर स्थापित करवाएं हैं, जहां भविष्य में कोई भी खतरा नहीं होगा. आपदा के समय भी ये अपना नेटवर्क बहुत मददगार साबित होंगे. रुद्रप्रयाग जैसे आपदाग्रस्त जिले के लिए ये नेटवर्क किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है.
कैसे काम कर रहा इंट्रानेट? रुद्रप्रयाग डीएम सौरभ गहरवार ने बताया कि इंट्रानेट एक सॉफ्टवेयर है, जिसका प्रयोग सूचना के आदान-प्रदान और नेटवर्क की सुरक्षा के लिए होता है. जहां अन्य कंपनियों के ओएफसी (ऑप्टिकल फाइबर केबल) बिछाने से आपदा के दौरान लाइन को क्षति पहुंच जाती है तो वहीं इस हवाई नेटवर्क सुविधा से कोई भी नुकसान नहीं होगा. वायरलेस नेटवर्क में फ्रीक्वेंसी-होपिंग स्प्रेड स्पेक्ट्रम से कोई भी दिक्कत नहीं होती है. जबकि, नेटवर्क में काफी सुधार रहता है.
अन्य नेटवर्क के मुकाबले यह इंट्रानेट बेहतर काम करता है. जिसकी घंटों की पावर होती है. जितनी भी ई-सर्विस हैं, वहां इंट्रानेट के माध्यम से सुव्यवस्थित तरीके से कार्य हो पा रहे हैं. इस वायरलेस सिस्टम से जिले के 250 किमी क्षेत्र को कवर किया गया है. दूरस्थ गांव के स्कूलों को इस सुविधा से जोड़ा जा रहा है. साथ ही सभी हेली सेवाओं को भी इंट्रानेट के माध्यम से मौसम की सूचना दी जाती है.
केदारनाथ धाम की यात्रा में देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंचते हैं. यहां की व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करने को लेकर यह इंट्रानेट स्थापित किया गया है. आपदा स्थलों की निगरानी, घोड़े-खच्चरों का पंजीकरण और उन्हें ट्रेस करना, राजमार्ग और लिंक मार्गों की ट्रैफिक व्यवस्था की निगरानी, पार्किंग व्यवस्था की निगरानी, यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की निगरानी करने के साथ उनसे बात भी कर सकते हैं. आपदा के दौरान रेस्क्यू की निगरानी भी इस इंट्रानेट की मदद से की जा सकती है. डिस्ट्रिक्ट डिजास्टर रिसोर्स नेटवर्क हर स्थिति में मददगार साबित हो रहा है.
इंट्रानेट को जानिए: इंट्रानेट एक तरह का सॉफ्टवेयर होता है. जिसका इस्तेमाल सूचना के आदान-प्रदान और नेटवर्क की सुरक्षा के लिए होता है. आमतौर पर इसका इस्तेमाल बड़े संस्थान अपने कर्मचारियों के बीच इंटरनेट की तर्ज पर सूचना के आदान-प्रदान के लिए करते हैं. इंट्रानेट एक तरह से निजी कम्प्यूटर नेटवर्क की तरह काम करता है.
इंट्रानेट एक संस्था के अंदर का निजी नेटवर्क होता है, जो कर्मचारियों को सुरक्षित रूप से जानकारी साझा करने इस्तेमाल किया जाता है. ठीक वैसे ही जैसे दुनिया के लिए इंटरनेट होता है. एक कंपनी या संस्था अपने कर्मचारियों के लिए एक इंट्रानेट बना सकती है. जहां वे आंतरिक दस्तावेज, मेल समेत अन्य जानकारी साझा कर सकते हैं.