
देहरादून। उत्तराखंड में मैदान और पहाड़ विवाद ने प्रदेश की राजनीतिक पृष्ठभूमि से लेकर संस्कृति, धरोहर पर बारीकी से नजर रखने वाले लोगों को चिंता में डाल दिया है. उनका मानना है कि सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे विवादास्पद पोस्ट और नेताओं के बयान से राज्य की जनता का अहित हो रहा है. साथ ही चारधाम यात्रा में भी इसका असर पड़ सकता है. ऐसे में सरकार और समाज को आगे आकर इस विवाद को जल्द खत्म करना चाहिए. नहीं तो आने वाला समय उत्तराखंड के लिए बेहद चिंतनीय हो जाएगा.
वीडियो पोस्ट ने ‘आग’ को दी ‘हवा’: विधानसभा से जो चिंगारी निकली थी, उसके बाद भले ही वित्त मंत्री ने इस्तीफा दे दिया हो. लेकिन कुछ नेताओं के द्वारा उसके बाद भी इस आग में घी डालने का काम किया गया. सामने आया कि होटल व्यवसाय के अलावा देश के अन्य राज्यों में मौजूद उत्तराखंड के लोगों को फोन करके अलग-अलग वीडियो बनाकर लोगों को धमकाया और वीडियो वायरल किए गए. हालांकि, वित्त मंत्री के इस्तीफे के बाद यह मामला खत्म हो जाना चाहिए था. लेकिन मानो उसके बाद तो और भी नेताओं को यह मौका मिल गया. उदाहरण बना कि अगर उनके विरोध से एक मंत्री हट सकता है तो वह कुछ भी अपने विरोध से करवा सकते हैं.
अभी नहीं संभले तो हालात हो जाएंगे खराब: उत्तराखंड के इन हालातों पर वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत का कहना है कि,
मैंने नितिन गडकरी का एक बयान सुना था. जिसमें उन्होंने कहा था कि क्षेत्रवाद, हिंदू-मुस्लिम या अन्य मुद्दे सिर्फ नेताओं के लिए होते हैं. आम जनता का इनमें कोई रोल नहीं होता. यह बात उत्तराखंड में भी मौजूदा समय में सिद्ध हो रही है. जिस तरह से एक के बाद एक कुछ नेताओं के बयान सामने आ रहे हैं. वैसे तो अभी इसका असर न तो मैदान पर रहने वाली जनता पर पड़ रहा है और न ही पहाड़ में रहने वाले लोगों पर. लेकिन इस बहाने कुछ राजनेता अपनी जमीन बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
जय सिंह रावत कहते हैं कि यह राज्य के लिए बिल्कुल भी सही नहीं है. हम सभी को इस बात का ध्यान रखना होगा कि यहां रहने वाला हर व्यक्ति उत्तराखंडी है. हम किसी को बाहर का, किसी को अंदर का करके अपने आने वाले भविष्य को अंधकार में धकेल रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस तरह के जहरीले भाषण वाले वीडियो से आने वाली चारधाम यात्रा पर भी असर पड़ सकता है. लिहाजा, सरकार को इस पूरे मामले पर सख्ती से पेश आना चाहिए और अपनी तरफ से स्पष्ट करना चाहिए कि समाज को तोड़ने की बात करने वालों के लिए राज्य में कहीं जगह नहीं है.
आपस का भाईचारे पर पड़ रहा असर: लेखक और पर्यावरणविद् राजीव नयन बहुगुणा का कहना है कि उत्तराखंड में बीते कुछ दिनों में जो कुछ भी घटा है, वह बेहद चिंता का विषय है. मैं यह समझ रहा हूं कि इन सभी हरकतों की वजह से चमोली, रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ जैसे पहाड़ी जनपदों में जो तराई के लोग रहते हैं, उनके और पहाड़ के लोगों के मन में भी एक दूसरे के प्रति गलत भावना आएगी. इसके परिणाम आने वाले समय में सही नहीं होंगे. लिहाजा, इस आग को अगर नहीं बुझाया गया तो आपसी भाईचारा खंडित होगा. राजीव कहते हैं कि भले ही वह हिंदू हो या मुस्लिम. लेकिन कई सालों से वह पहाड़ों पर हमारे पहाड़ के लोगों के साथ ही रहते आए हैं. ऐसे में न तो हमने और न ही उन लोगों ने कभी ऐसे हालातों को देखा है. लिहाजा समाज को इसमें पहल करते हुए ऐसे लोगों का बहिष्कार करना होगा, जो समाज को तोड़ने की बात कह रहे हैं.
कैसे चारधाम पर पड़ सकता है असर: राजीव नयन बहुगुणा चारधाम यात्रा को लेकर भी कहते हैं कि,
इसका असर सिर्फ चारधाम यात्रा पर ही नहीं, उत्तराखंड की आर्थिक पर भी पड़ सकता है. चारधाम यात्रा में आने वाला अमूमन ड्राइवर मैदानी क्षेत्र से आता है. यहां तक दिल्ली, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के ड्राइवर भी उस दौरान यहां पर गाड़ी चलाते हैं. अगर ऐसे में उनके साथ कोई विवाद होता है तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यात्रा पर इसका कितना असर पड़ेगा. इसी तरह उधम सिंह नगर से लेकर हरिद्वार, देहरादून और अन्य जगहों के कारोबारी पहाड़ के व्यापारियों से मिल-जुलकर कई लोगों को रोजगार दे रहे हैं. लेकिन इन सभी बयानों की वजह से कहीं ना कहीं मन में खटास आ सकती है. लिहाजा इस मामले को जल्द से जल्द खत्म करना ही राज्य हित में होगा.
विवाद लोगों को करेगा सोचने पर मजबूर: हरिद्वार के रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार सुनील दत्त पांडे कहते हैं हमने देखा कि कुछ लोगों के वीडियो ऋषिकेश, देहरादून और कुमाऊं के कुछ क्षेत्रों से सामने आए हैं. हालांकि जनता पर इसका इतना असर नहीं पड़ता. लेकिन उधम सिंह नगर और हरिद्वार का पूरा तराई क्षेत्र है. यहां पर न केवल तराई के लोग रहते हैं. बल्कि गढ़वाली, कुमाऊंनी मिल जुलकर रहते हैं. परंतु इस विवाद के बाद जिस तरह से कुछ लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया और सोशल मीडिया पर लगातार एक दूसरे के खिलाफ पोस्ट की. उसने सोचने पर जरूर मजबूर कर दिया है कि अगर इस तरह के वीडियो लगातार सामने आते रहे तो चारधाम यात्रा पर आने वाला श्रद्धालु और यात्रा मार्ग पर आने वाला व्यापारी पर इसका असर पड़ सकता है.
सीएम ने कहा: हालांकि इस पूरे विवाद के बाद 23 मार्च को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लोगों को हिदायत दी और इन हरकतों से बचने के लिए कहा. इतना ही नहीं, कुछ लोगों के खिलाफ जिला प्रशासन ने मुकदमे भी दर्ज किए हैं. यह वह लोग हैं जो लोगों को डराने, धमकाने या अपनी भाषा में धमकी का प्रयोग कर रहे हैं.