
ANKITA BHANDARI CASE
कोटद्वार। अंकिता भंडारी हत्याकांड उत्तराखंड के सबसे चर्चित और संवेदनशील मामलों में से एक है। यह मामला 2022 में सुर्खियों में आया और 2025 तक इसमें कई महत्वपूर्ण अपडेट्स आए। नीचे इस केस का शुरू से अब तक का विस्तृत अपडेट दिया गया है, जो उपलब्ध जानकारी पर आधारित है:
1. घटना का प्रारंभ (सितंबर 2022):
- 18 सितंबर 2022: अंकिता भंडारी, 19 वर्षीय रिसेप्शनिस्ट, उत्तराखंड के पौड़ी जिले के यमकेश्वर में स्थित वनंतरा रिज़ॉर्ट में काम करती थीं। वह अचानक लापता हो गईं। अंकिता ने रिज़ॉर्ट में केवल 20 दिन पहले (28 अगस्त 2022) नौकरी शुरू की थी।
- 20 सितंबर 2022: रिज़ॉर्ट मालिक पुलकित आर्य ने अंकिता की गुमशुदगी की सूचना दी। उनके पिता वीरेंद्र भंडारी ने राजस्व पुलिस में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज की, लेकिन शुरुआत में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
- 22 सितंबर 2022: परिवार की शिकायतों के बाद मामला सिविल पुलिस को हस्तांतरित हुआ।
- 23 सितंबर 2022: पुलिस ने रिज़ॉर्ट मालिक पुलकित आर्य, मैनेजर सौरभ भास्कर, और सहायक मैनेजर अंकित गुप्ता को गिरफ्तार किया। जांच में पता चला कि अंकिता को “विशेष सेवाएं” (VIP guests के लिए अनैतिक कार्य) प्रदान करने के लिए दबाव डाला गया था, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया। इससे विवाद हुआ।
- 24 सितंबर 2022: अंकिता का शव ऋषिकेश के पास चीला नहर से बरामद हुआ। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में डूबने से मृत्यु और शरीर पर चोट के निशान पाए गए।
- आरोप: जांच में सामने आया कि अंकिता और पुलकित के बीच 18 सितंबर को झगड़ा हुआ था। इसके बाद pulkit ने अपने दो सहयोगियों के साथ अंकिता को चीला नहर में धक्का देकर हत्या कर दी।
- 25 सितंबर 2022: अंकिता का अंतिम संस्कार श्रीनगर के एनआईटी घाट पर हुआ। इस घटना ने उत्तराखंड और देशभर में आक्रोश पैदा किया।
2. जांच और शुरुआती कार्रवाई (2022):
- 24 सितंबर 2022: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया, जिसका नेतृत्व डीआईजी पी. रेणुका देवी ने किया।
- SIT की जांच: SIT ने 500 पेज की चार्जशीट तैयार की, जिसमें 97 गवाहों को नामित किया गया। इसमें डिजिटल साक्ष्य (CCTV फुटेज, WhatsApp चैट, मोबाइल डेटा) और फॉरेंसिक सबूत शामिल थे।
- आरोप:
- राजनीतिक विवाद: पुलकित आर्य के पिता, पूर्व बीजेपी नेता विनोद आर्य, और भाई अंकित आर्य को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। परिवार और विपक्ष ने एक “VIP” के शामिल होने का आरोप लगाया, जिसका नाम जांच में सामने नहीं आया।
- नार्को टेस्ट: दिसंबर 2022 में SIT ने तीनों आरोपियों के नार्को और पॉलीग्राफ टेस्ट की अनुमति मांगी, जो हाई कोर्ट में लंबित रही।
- परिवार के आरोप: अंकिता के माता-पिता ने SIT की जांच पर असंतोष जताया और CBI जांच की मांग की। उन्होंने प्रशासन पर सबूत नष्ट करने और रिज़ॉर्ट को बुलडोजर से गिराने का आरोप लगाया।
3. कोर्ट में सुनवाई (2023-2025):
- 30 जनवरी 2023: कोटद्वार के अपर जिला एवं सत्र न्यायालय (एडीजे कोर्ट) में सुनवाई शुरू हुई।
- 28 मार्च 2023: अभियोजन पक्ष ने गवाहों और साक्ष्यों को पेश करना शुरू किया। कुल 97 में से 47 गवाहों की गवाही हुई।
- 20 दिसंबर 2023: उत्तराखंड हाई कोर्ट ने पुलकित आर्य की जमानत याचिका खारिज कर दी, यह कहते हुए कि आरोपियों की मौजूदगी घटनास्थल पर सिद्ध हुई और अंकिता पर “विशेष सेवाओं” के लिए दबाव डाला गया था।
- 26 अप्रैल 2024: गवाहों के बयानों पर जिरह के लिए तारीख तय की गई।
- 19 मई 2025: कोटद्वार एडीजे कोर्ट में सुनवाई पूरी हुई, और फैसला 30 मई 2025 के लिए सुरक्षित रखा गया।
4. कोर्ट का फैसला (30 मई 2025):
- 30 मई 2025: कोटद्वार की अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश रीना नेगी की अदालत ने तीनों आरोपियों—पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर, और अंकित गुप्ता—को दोषी करार दिया। उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई, साथ ही 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया।
- मुख्य बिंदु:
- सुरक्षा व्यवस्था: फैसले के दिन कोर्ट परिसर के 200 मीटर के दायरे को पुलिस ने सील कर दिया था। केवल वकील, पक्षकार, और जरूरी स्टाफ को प्रवेश की अनुमति थी।
5. परिवार और जनता की प्रतिक्रिया:
- परिवार की मांग: अंकिता के पिता वीरेंद्र भंडारी और मां सोनी देवी ने दोषियों को फांसी की सजा की मांग की। वे SIT की जांच से संतुष्ट नहीं थे और CBI जांच की मांग करते रहे।
- VIP विवाद: परिवार और विपक्ष ने एक “VIP” के शामिल होने का आरोप लगाया, जिसका नाम जांच में सामने नहीं आया। अंकिता की मां ने बीजेपी विधायक रेनू बिष्ट और एक स्थानीय उपजिलाधिकारी पर सबूत मिटाने का आरोप लगाया।
- सरकारी वादे: मुख्यमंत्री धामी ने अंकिता के नाम पर श्रीकोट नर्सिंग कॉलेज का नामकरण करने का वादा किया था, जो 2025 तक पूरा नहीं हुआ।
- सहायता: सरकार ने अंकिता के पिता और भाई को सरकारी नौकरी और 25 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी।
6. सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव:
- जन आक्रोश: इस मामले ने उत्तराखंड में महिलाओं की सुरक्षा, राजनीतिक प्रभाव, और न्याय प्रणाली की पारदर्शिता पर सवाल उठाए। दिल्ली तक विरोध प्रदर्शन हुए।
- विपक्ष की मांग: कांग्रेस ने CBI जांच की मांग की और अंकिता के लिए न्याय यात्रा निकालने की घोषणा की।
- मीडिया और पत्रकार: पत्रकार आशुतोष नेगी ने इस मामले को लगातार उठाया, लेकिन उनकी गिरफ्तारी ने विवाद खड़ा किया।
7. वर्तमान स्थिति (31 मई 2025):
- तीनों आरोपी दोषी करार दिए गए और आजीवन कारावास की सजा पा चुके हैं।
- परिवार अभी भी फांसी की सजा और CBI जांच की मांग कर रहा है।
- “VIP” की पहचान का सवाल अनसुलझा है, जिसके कारण मामला अभी भी चर्चा में है।
निष्कर्ष:
अंकिता भंडारी हत्याकांड ने उत्तराखंड में सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर गहरा प्रभाव डाला। 30 मई 2025 को कोर्ट का फैसला एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन परिवार और जनता के बीच CBI जांच और “VIP” की पहचान को लेकर असंतोष बना हुआ है। यह मामला महिलाओं की सुरक्षा और न्याय व्यवस्था की पारदर्शिता पर सवाल उठाता रहेगा।