ऋषिकेश। टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड, मिनी रत्न सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम ने 1320 मेगावाट के खुर्जा सुपर थर्मल पावर प्लांट (केएसटीपीपी) की प्रथम यूनिट के वाणिज्यिक परिचालन तिथि (सीओडी) की घोषणा के साथ भारत की विद्युत उत्पादन क्षमता को सुदृढ करने की अपनी प्रतिबद्धता में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। टीएचडीसीआईएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक आर. के. विश्नोई ने अवगत कराया कि यह गर्व का क्षण है कि 1320 (2ग्660) मेगावाट की केएसटीपीपी की प्रथम यूनिट के वाणिज्यिक परिचालन तिथि (सीओडी) 25 जनवरी, 2025 की मध्यरात्रि में घोषित की गई है। उन्होंने उल्लेख किया कि पारंपरिक रूप से, टीएचडीसीआईएल का मुख्य व्यवसाय क्षेत्र जल विद्युत का दोहन रहा है, यह ऐतिहासिक उपलब्धि कंपनी की क्षमताओं का एक महत्वपूर्ण प्रदर्शन है, साथ ही थर्मल पावर क्षेत्र में इसकी उत्कृष्टता और विशेषज्ञता को भी प्रदर्शित करती है, जो कि भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की यात्रा को आगे बढ़ाने में सहयोग प्रदान करता है। इस यूनिट के सफल कमीशन के साथ, टीएचडीसीआईएल राष्ट्र के विकास को शक्ति देने और इसके सतत ऊर्जा भविष्य में योगदान देने में और भी अधिक प्रमुख भूमिका निभाने के लिए तैयार है।
उन्होंने यह भी कहा कि इस परियोजना की आधारशिला भारत के प्रधानमंत्री द्वारा रखी गई थी और वर्तमान में ग्रिड के साथ सिंक्रोनाइजेशन; पूर्ण लोड परीक्षण (660 मेगावाट) और पूर्ण लोड पर 72 घंटे का ट्रायल रन पहले ही पूर्ण कर लिया गया है। वाणिज्यिक परिचालन घोषणा (सीओडी) एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है क्योंकि यह आधिकारिक तौर पर उस बिंदु को चिह्नित करता है कि जब संयंत्र को वाणिज्यिक रूप से चालू माना जाता है और विद्युत का उत्पादन कर ग्रिड को आपूर्ति करने में सक्षम होता है। अनिवार्य रूप से, सीओडी यह दर्शाता है कि संयंत्र ने सभी आवश्यक परीक्षण और निरीक्षण पास कर लिए हैं साथ ही निष्पादन मानकों को पूरा करता है तथा स्थिर और कुशल तरीके से विद्युत प्रणाली में योगदान देने के लिए तैयार है। श्री विश्नोई ने इस बात पर प्रकाश डाला कि खुर्जा एसटीपीपी में एकीकृत फ्लू गैस डी-सल्फराइजेशन (एफजीडी) प्रणाली अपनी तरह की अनूठी है जिसे रिकॉर्ड समय में पूरा किया गया है, जो खुर्जा एसटीपीपी परियोजना के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। सीओडी यह भी सुनिश्चित करता है कि संयंत्र नियामक आवश्यकताओं और संविदात्मक दायित्वों का अनुपालन करता है। सीओडी की घोषणा के पश्चात संयंत्र हस्ताक्षरित विद्युत क्रय समझौतों के अनुसार ग्रिड को विद्युत की आपूर्ति प्रारंभ कर सकता है और थर्मल पावर प्लांट को ग्रिड के साथ पूरी तरह से एकीकृत किया जाएगा, जिसके फलस्वरूप क्षेत्र में विद्युत की स्थिर और निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी।