
Supreme Court of India
दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 17 अप्रैल 2025 को वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर सुनवाई के दौरान निम्नलिखित प्रमुख बातें कहीं:
अंतरिम रोक से इनकार: कोर्ट ने वक्फ संशोधन कानून पर पूरी तरह से रोक लगाने से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कानून में कुछ सकारात्मक प्रावधान हैं, इसलिए पूर्ण रोक उचित नहीं है।
यथास्थिति बनाए रखने का आदेश: कोर्ट ने आदेश दिया कि अगली सुनवाई तक सभी वक्फ संपत्तियों, विशेष रूप से “वक्फ बाय यूजर” और “वक्फ बाय डीड” के तहत दर्ज संपत्तियों को उनकी मौजूदा स्थिति में रखा जाए। इन्हें डी-नोटिफाई नहीं किया जाएगा।
नई नियुक्तियों पर रोक: वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में अगली सुनवाई तक कोई नई नियुक्ति नहीं होगी। यह अंतरिम आदेश केंद्र सरकार के आश्वासन के बाद दिया गया।
केंद्र से जवाब मांगा: कोर्ट ने केंद्र सरकार को 7 दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ताओं को इसके बाद 5 दिनों में जवाब देना होगा। अगली सुनवाई 5 मई 2025 को होगी।
वक्फ बाय यूजर पर चर्चा: कोर्ट ने “वक्फ बाय यूजर” प्रावधान को हटाने पर चिंता जताई, क्योंकि 14वीं-16वीं सदी की कई मस्जिदों के पास औपचारिक दस्तावेज नहीं हैं। कोर्ट ने पूछा कि ऐसी संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन कैसे होगा।
केवल पांच याचिकाओं पर सुनवाई: 70 से अधिक याचिकाओं के बावजूद, कोर्ट ने कहा कि सभी पर विचार असंभव है और केवल पांच याचिकाओं पर सुनवाई होगी।
कानून की वैधानिकता पर टिप्पणी: हिंदू पक्ष के वकीलों ने दावा किया कि कोर्ट ने कानून को वैधानिक रूप से स्वीकार कर लिया है, विशेष रूप से मौखिक वक्फ (वक्फ बाय यूजर) को निरस्त करने के संदर्भ में।
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वह कानून के कुछ पहलुओं को सकारात्मक मानता है और मौजूदा स्थिति में बदलाव नहीं चाहता। यह सुनवाई वक्फ कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्रित थी, जिसमें गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड में शामिल करने और कलेक्टर को संपत्ति विवाद निपटाने का अधिकार देने जैसे प्रावधानों पर आपत्तियां उठाई गई थीं।
आधिकारिक जानकारी के लिए सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट (www.sci.gov.in) या संबंधित कोर्ट ऑर्डर की जांच करें।