बुधवार को इंट्रा-डे सेशन में रुपया अपने पिछले बंद भाव से 25 पैसे गिरकर 90.21 के नए निचले स्तर पर आ गया था.
मुंबई। बुधवार को रुपया 25 पैसे की गिरावट के साथ 90.21 (अनंतिम) के सर्वकालिक निम्न स्तर पर बंद हुआ. FII की बिकवाली से रुपए पर दबाव का असर दिखा.
3 दिसंबर 2025 को भारतीय रुपया (INR) अमेरिकी डॉलर (USD) के मुकाबले पहली बार 90 के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर गया, जो अब तक का सबसे निचला स्तर है (लगभग 90.14 INR प्रति USD)। 2025 में अब तक यह लगभग 5% से अधिक गिर चुका है, जो एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्राओं में से एक है। यह गिरावट वैश्विक और घरेलू कारकों का संयोजन है, जिसमें अमेरिकी व्यापार नीतियां, पूंजी बहिर्वाह और व्यापार असंतुलन प्रमुख हैं। नीचे मुख्य वजहें विस्तार से दी गई हैं:
| कारण | विवरण | प्रभाव |
|---|---|---|
| विदेशी निवेशकों (FPI/FII) का बहिर्वाह | जुलाई 2025 से अब तक FPI ने भारतीय इक्विटी से लगभग 1.03 लाख करोड़ रुपये (लगभग $17 बिलियन) निकाले हैं। यह US टैरिफ की चिंताओं, आय ग्रोथ धीमी होने और भारतीय बाजारों के ऊंचे वैल्यूएशन के कारण हो रहा है। | डॉलर की मांग बढ़ती है, जिससे INR पर दबाव पड़ता है। नवंबर 2025 में ही 4,335 करोड़ रुपये की बिकवाली हुई। |
| अमेरिका-भारत व्यापार तनाव और टैरिफ | US ने अगस्त 2025 से भारत पर 50% तक टैरिफ लगाए हैं, जो निर्यात को महंगा बनाते हैं। भारत-US ट्रेड डील में देरी से अनिश्चितता बढ़ी है, जो भारत के सबसे बड़े निर्यात बाजार को प्रभावित कर रही है। | निर्यात घटने से डॉलर की आमद कम होती है, व्यापार घाटा बढ़ता है। यह INR को 88 से 90 तक गिराने का प्रमुख ट्रिगर है। |
| मजबूत अमेरिकी डॉलर | US फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें कम हुई हैं (मजबूत जॉब डेटा के कारण)। डॉलर इंडेक्स 99.22 पर है, जो उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं को दबा रहा है। | उच्च US यील्ड्स से पूंजी अमेरिका की ओर बह रही है, INR को कमजोर कर रही है। |
| व्यापार घाटा और आयात मांग | भारत का व्यापार घाटा रिकॉर्ड स्तर पर है, मुख्यतः तेल, सोना और कच्चे माल के आयात से। कच्चे तेल की ऊंची कीमतें डॉलर की मांग बढ़ा रही हैं। | आयात > निर्यात होने से विदेशी मुद्रा की कमी, REER (रियल इफेक्टिव एक्सचेंज रेट) 9.8% गिरकर 97.47 पर। |
| आरबीआई की नीति और वैश्विक जोखिम | RBI रुपये को धीरे-धीरे गिरने दे रहा है ताकि निर्यात प्रतिस्पर्धी बने (IMF ने इसे ‘क्रॉल-लाइक अरेंजमेंट’ कहा है)। वैश्विक अनिश्चितता (जैसे टैरिफ वॉर) से सट्टेबाजी बढ़ी है। | RBI का हस्तक्षेप सीमित, जो गिरावट को तेज कर रहा है। दिसंबर में 89.73 से 90.14 तक की गिरावट। |
LKP सिक्योरिटीज के कमोडिटी और करेंसी के VP रिसर्च एनालिस्ट, जतीन त्रिवेदी ने कहा, “भारत-US ट्रेड डील पक्की न होने और टाइमलाइन में बार-बार देरी के दबाव में रुपया पहली बार 90 के लेवल से नीचे चला गया. मार्केट अब बड़े भरोसे के बजाय पक्के आंकड़े चाहते हैं, जिससे पिछले कुछ हफ्तों में रुपये में बिकवाली तेज हुई है.”
जतीन त्रिवेदी ने ये भी बताया, “मेटल और बुलियन की रिकॉर्ड-ऊंची कीमतों ने भारत के इंपोर्ट बिल को और खराब कर दिया है, जबकि US के भारी टैरिफ एक्सपोर्ट कॉम्पिटिटिवनेस पर दबाव डाल रहे हैं.”
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स LLP के ट्रेजरी हेड और एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अनिल कुमार भंसाली ने कहा, “भारत सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) एक्सपोर्टर्स की मदद करना चाहते हैं और पिछले कुछ दिनों में डॉलर को अच्छी कीमत पर बनाए रखने की वजह से रुपया कमजोर हो रहा है.”
अनिल कुमार भंसाली ने ये भी बताया, कि नेशनलाइज्ड बैंकों ने मंगलवार को लगातार ऊंचे लेवल पर डॉलर खरीदे. MPC की मीटिंग बुधवार को शुरू हो रही है और इंटरेस्ट रेट का फैसला 10 दिसंबर को फेड इंटरेस्ट रेट के नतीजे से पहले 5 दिसंबर को बताया जाएगा.
भंसाली ने कहा, “RBI द्वारा रेट में कटौती से रुपये में और बिकवाली हो सकती है.”
