
रुड़की। हरिद्वार जिले के रुड़की शहर की प्रमुख जामा मस्जिद के अलावा मदरसा इरफान-उल-उलूम स्थित मस्जिदों में बड़ी संख्या में रोजेदारों ने अलविदा जुमे की नमाज़ अदा की. जुमे की नमाज के बाद सभी ने देश और प्रदेश की खुशहाली, अमन चैन एवं शांति के साथ ही कौम की तरक्की की दुआएं मांगी. हालांकि, ज्यादातर जगहों पर जुमे की नमाज़ में सभी नमाजी अपने हाथों पर काली पट्टी बांधकर मस्जिद पहुंचे. जहां उन्होंने सरकार की तरफ से अवैध मदरसों पर कार्रवाई का विरोध किया. साथ ही वक्फ बोर्ड कानून में जो संशोधन लाया जा रहा है, उसको भी गलत ठहराया है.
ग्रीन पार्क कॉलोनी की जामा मस्जिद के इमाम मुफ्ती मोहम्मद अकरम ने अपने बयान में कहा कि रोजा इंसान को तमाम बुराइयों से बचाता है. अगर इंसान सिर्फ अपनी कमियां देख कर उन्हें दूर करने की कोशिश करे तो दुनिया से बुराइयां खुद-ब-खुद खत्म हो जाएंगी. उन्होंने कहा कि रमजान माह में हमें रोजा, नमाज़ और दूसरी इबादतों के साथ ही गरीब एवं मिसकिनों की भी दिल खोलकर मदद करनी चाहिए.
नमाज़ पढ़ने और रोज़ा रखने वाले रोजेदार को रहमतों व बरकतों से नवाजता है अल्लाह: फितरा-जकात ईद की नमाज़ से पहले अदा कर देना चाहिए. उन्होंने बताया कि इस बार फितरे की रकम मौजूदा रेट के हिसाब से 50 रुपए के करीब बनती है. मुफ्ती अकरम ने कहा कि रमजान में रोजेदार अल्लाह के नजदीक आने की कोशिश में भूख-प्यास समेत अपनी तमाम इच्छाओं को रोक देता है, इस बदले में अल्लाह अपने रोजेदार बंदे के बेहद करीब आकर उसे रहमतों और बरकतों से नवाजता है.

काली पट्टी बांधकर नमाज़ पढ़ी: वहीं, अलविदा जुमे की नमाज़ पढ़ने के लिए जब लोग मस्जिदों में पहुंचे तो ज्यादातर जगहों पर अपने हाथ पर काली पट्टी बांधकर पहुंचे. मस्जिद के इमाम मुफ्ती मोहम्मद अकरम ने बताया कि सरकार की ओर से वक्फ कानून में संशोधन को लेकर लाए जा रहे बिल और मदरसों को जबरन बंद करने के विरोध में काली पट्टी बांधकर विरोध किया जा रहा है.

वक्फ संशोधन विधेयक 2024 का विरोध: उन्होंने कहा कि सरकार जो मदरसों पर कार्रवाई कर रही है, वो पूरी तरह से गलत है. इसके अलावा वक्फ बोर्ड कानून में जो संशोधन लाया जा रहा है, वो भी पूरी तरह से गलत है. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि अभी तो काली पट्टी बांधकर विरोध किया जा रहा है. अगर सरकार इस काले कानून को वापस नहीं लेगी तो इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा. सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन भी किया जाएगा. इसके लिए चाहे जेल भी जाना पड़े, पीछे नहीं हटेंगे. गौर हो कि उत्तराखंड सरकार के मुताबिक राज्य में करीब 500 अवैध मदरसे चल रहे हैं. अब तक 136 अवैध मदरसे सील किए जा चुके हैं.