रूद्रपुर। उत्तराखंड में चावल की पैदावार बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण एवं अभिनव प्रयास में, सवाना सीड्स ने फुलपेज नामक नया तकनीकी समाधान पेश किया है, जिससे भारत के राज्यो के हजारों चावल किसानों को लाभ होगा। इस नई तकनीक को गेम चेंजर और भविष्योन्मुखी बताते हुए कंपनी ने कहा कि यह चावल उत्पादकों के लिए एक समग्र समाधान प्रदान करती है, जिससे पैदावार में वृद्धि के साथ-साथ भूजल के उपयोग में 30 प्रतिशत तक की कमी आती है, श्रम लागत में प्रति एकड़ 4000 से 4500 रुपये की बचत होती है, और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 25 प्रतिशत से 30 प्रतिशत तक की कमी आती है। इसकी लॉन्चिंग के अवसर पर किसानों को वैज्ञानिक ज्ञान और समाधानों से सशक्त बनाने के लिए एक विशेष ऐप भी लॉन्च किया गया।
सवाना सीड के एशिया पैसिफिक बिजनेस हेड एवं सीईओ अजय राणा ने कहा कि फुलपेज क्रॉपिंग सॉल्यूशन और फुलपेज ऐप खरपतवार प्रबंधन जैसी महत्वपूर्ण चुनौती का समाधान करके चावल की खेती में क्रांति लाएगा। इससे न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि यह जल संरक्षण करता है और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करके भावी पीढ़ियों के लिए पर्यावरण को सुरक्षित रखता है।
अत्याधुनिक फुलपेज समाधान एक व्यापक बहुआयामी लाभ प्रदान करता है। इसे विशेष रूप से सीधी बुआई वाले चावल (डीएसआर) के लिए तैयार किया गया है। यह अनुकूलित फसल उत्पादन के लिए स्मार्ट जेनेटिक्स को एकीकृत करता है और अपने स्क्वाड बीज उपचार के साथ समान अंकुरण और मजबूत विकास सुनिश्चित करता है, जिससे अधिकतम उपज के लिए फाइटोटॉक्सिसिटी जोखिम समाप्त हो जाता है।
पारंपरिक डीएसआर तरीकों में अक्सर खरपतवार प्रबंधन की समस्या और असंगत अंकुरण का सामना करना पड़ता है, जिससे पैदावार कम होती है। लेकिन, फुलपेज इस समस्या का वेज़िर शाकनाशी के साथ समाधान पेश करता है, और इमाज़ेथापायर-सहिष्णु संकर चावल में खरपतवार/ लाल/ जंगली चावल और बार्नयार्ड घास जैसे खरपतवारों का विश्वसनीय नियंत्रण करता है। फुलपेज के लीड मनोज सिंह ने फुलपेज खेती के उपयोग के बारे में सुझाव दिया और कहा कि फुलपेज के लिए 7 किलो बीज दर का उपयोग आवश्यक है। 400 एमएल वज़ीर खरपतवार नाशक का इस्तमाल खर-पतवार की 2 से 3 पत्ती अवस्था पर करे । यह अवस्था बुआई के 10 से 15 दिन बाद आ जाती है। छिड़काव के 24 घंटे बाद तक सिंचाई न करें और अन्य फसलों पर वज़ीर का प्रयोग न करें।