देहरादून। उत्तराखंड, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और जैव विविधता के लिए जाना जाता है, वहां मानव-वन्यजीव संघर्ष (Human-Wildlife Conflict) तेजी से बढ़ रहा है। 22 नवंबर 2025 तक, विशेष रूप से भालू और तेंदुओं (गुलदार) के हमलों की घटनाएं सुर्खियों में हैं। ये हमले मुख्यतः पहाड़ी जिलों जैसे पौड़ी गढ़वाल, चमोली, रुद्रप्रयाग और नैनीताल में हो रहे हैं, जहां ग्रामीण जंगलों में घास काटने या लकड़ी इकट्ठा करने जाते हैं। जलवायु परिवर्तन, कम बर्फबारी, भोजन की कमी और आवास हानि के कारण जानवर मानव बस्तियों में घुस रहे हैं।
हाल की प्रमुख घटनाओं, आंकड़ों और सरकारी कदमों की पूरी जानकारी ये है।
1. हाल की प्रमुख घटनाएं (नवंबर 2025)
नवंबर में भालू के हमले सबसे ज्यादा चर्चित रहे। यहां क्रमबद्ध विवरण:
| तिथि | स्थान | जानवर | विवरण | परिणाम |
|---|---|---|---|---|
| 19 नवंबर 2024 | पौड़ी गढ़वाल (कोटी गांव) | गुलदार (तेंदुआ) | 65 वर्षीय गिन्नी देवी घास काटने गईं, गुलदार ने हमला कर मार डाला। | 1 मौत। ग्रामीण दहशत में। |
| 18 नवंबर 2025 | पौड़ी गढ़वाल (बीरोंखाल ब्लॉक) | भालू | 40 वर्षीय लक्ष्मी देवी घास काट रही थीं, भालू ने चेहरे और सिर पर हमला किया। | गंभीर चोटें। इसी जिले में पिछले 10 महीनों में भालू ने 1 को मारा, 12 घायल। |
| 19 नवंबर 2025 | पोखरी (पाब गांव) | संदिग्ध जंगली जानवर | एक महिला घास लेने गई, रक्त और सामान मिला। सुबह घायल अवस्था में मिलीं। | 1 घायल। SDRF और वन विभाग ने बचाव किया। |
| नवंबर मध्य (सटीक तिथि अनुपलब्ध) | पौड़ी गढ़वाल | भालू | भालू ने कई हमले किए, जिसमें चेहरे पर गंभीर घाव। | कई घायल। स्थानीय लोग शाम के बाद बाहर नहीं निकल रहे। |
| 20 नवंबर 2025 | चमोली, उत्तरकाशी, कुमाऊं | भालू | कई अलग-अलग हमले, मकई के खेतों पर आक्रमण। | 44 घायल (2025 में कुल)। |
- अन्य उल्लेखनीय: 21 नवंबर को कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने देहरादून के वन भवन पर प्रदर्शन किया, भालू-बाघ के आतंक के खिलाफ। इससे पहले अक्टूबर में पिथौरागढ़ के धारचूला में भालू ने 2 को घायल किया था।
2. 2025 के आंकड़े (नवंबर तक)
- भालू हमले: 71 मौतें (2000 से कुल), 2009 घायल। 2025 में 7 मौतें, 44 घायल। पौड़ी में 1 मौत, 12 घायल।
- तेंदुआ (गुलदार) हमले: 48 तेंदुए रेस्क्यू सेंटरों में बंद। 2025 में कई मौतें, जैसे अप्रैल में रामनगर के पास 10 वर्षीय बच्चे की।
- कुल मानव-वन्यजीव संघर्ष: 2025 में 5+ मौतें भालू से, कई तेंदुए से। महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित (घास/लकड़ी इकट्ठा करने के कारण)।

3. कारण
- जलवायु परिवर्तन: कम बर्फबारी से भालू हाइबरनेशन (सर्दियों की नींद) नहीं ले पा रहे। भोजन की कमी से आक्रामक हो रहे।
- आवास हानि: जंगलों का कटाव, मानव विस्तार। तेंदुए घरेलू पशुओं को शिकार मानते हैं।
- जनसंख्या वृद्धि: तेंदुओं की संख्या 3,115, बाघों की 560।
- फसल मौसम: मकई/फसल पकने से भालू खेतों में आते हैं।
4. सरकारी और वन विभाग के कदम
- ट्रैपिंग और रेस्क्यू: 48 तेंदुओं को पकड़कर जंगलों में छोड़ा। भालुओं के लिए ड्रोन, कैमरे और गश्ती टीमें।
- बीमा योजना: 18 नवंबर 2025 को केंद्र सरकार ने PMFBY के तहत जंगली जानवरों से फसल क्षति को कवर किया। उत्तराखंड सहित हिमालयी राज्यों को लाभ।
- मुआवजा: मौत पर 6 लाख, घायल पर 1 लाख रुपये।
- जागरूकता: ग्रामीणों को सलाह – शाम के बाद जंगल न जाएं, लाइट जलाएं, मवेशी अंदर रखें। वन विभाग ने फसल सुरक्षा के लिए ओक/बेरी पौधे लगाने का प्लान।
- प्रदर्शन: 21 नवंबर को कांग्रेस ने वन भवन पर हंगामा किया, तत्काल कार्रवाई की मांग।
5. रोकथाम के सुझाव
- व्यक्तिगत: जंगल में समूह में जाएं, स्टिक/लाइट साथ रखें। बच्चे/महिलाएं अकेले न जाएं।
- समुदाय: गश्ती बढ़ाएं, कचरा प्रबंधन करें (जानवर आकर्षित होते हैं)।
- सरकारी: जंगल क्षमता अध्ययन (Carrying Capacity) हो रहा है।
ये घटनाएं दुखद हैं, लेकिन जागरूकता से कम हो सकती हैं।
