
देहरादून। हरक सिंह रावत, उत्तराखंड के एक प्रमुख कांग्रेस नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री, हाल के दिनों में अपने तीखे बयानों और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खिलाफ आक्रामक रुख के कारण चर्चा में हैं।
उनकी नाराजगी और गुस्से की मुख्य वजहें ये हैं:-
FD: हरक सिंह रावत ने बीजेपी पर खनन माफिया से 30 करोड़ रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) बनवाने का सनसनीखेज आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया कि जब वे बीजेपी सरकार में वन मंत्री थे, तब उन्होंने खुद 1 करोड़ रुपये का योगदान दिया था। रावत ने कहा, “बीजेपी ने मुझे छेड़ा है, अब मैं उनकी औकात दिखाऊंगा,” और प्रवर्तन निदेशालय (ED) से निष्पक्ष जांच की मांग की, जिसमें उनकी और बीजेपी नेताओं की संपत्तियों की जांच हो।
ED: हरक सिंह रावत का मानना है कि बीजेपी ने उनके खिलाफ साजिश रची है, खासकर ED और अन्य जांच एजेंसियों के जरिए। 2024 में ED ने उनके देहरादून और अन्य ठिकानों पर छापेमारी की, जो कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध पेड़ कटाई और जमीन घोटाले से जुड़ी थी। हरक सिंह रावत ने इन जांचों को राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा बताया और अपने बयानों से बीजेपी को घेरने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही, वे कांग्रेस में अपनी छवि मजबूत करने और विश्वास हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं।
बीजेपी पर हमला: रावत ने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर तीखे हमले किए। उन्होंने भट्ट को “राजनीति का छोटा खिलाड़ी” कहा और त्रिवेंद्र सिंह रावत पर खनन कारोबारियों से पैसे लेने का आरोप लगाया। इसके अलावा, उन्होंने धामी मंत्रिमंडल को अपरिपक्व और अनुभवहीन बताया।
पार्टी बदलने और पुराने विवादों का असर: हरक सिंह रावत का राजनीतिक सफर विवादों से भरा रहा है। वे 2016 में कांग्रेस से बीजेपी में गए और 2022 में फिर कांग्रेस में लौट आए। बीजेपी से निष्कासन और उनकी बहू अनुकृति गुसाईं को टिकट न मिलने से उनकी नाराजगी बढ़ी। इसके अलावा, पुराने शारीरिक शोषण और जमीन घोटाले जैसे आरोपों ने उनकी छवि को प्रभावित किया, जिसके कारण वे सुर्खियों में बने रहने और अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए आक्रामक बयान दे रहे हैं।
कांग्रेस में स्थिति मजबूत करने की रणनीति: रावत के बयानों को राजनीतिक जानकार कांग्रेस में अपनी स्थिति मजबूत करने और दिल्ली व देहरादून में पार्टी नेतृत्व का विश्वास जीतने की कोशिश के रूप में देखते हैं। उनके बयानों को कांग्रेस के दिग्गज नेताओं जैसे हरीश रावत, यशपाल आर्य और प्रीतम सिंह का समर्थन मिला है, जो उनकी रणनीति को बल देता है।
हरक सिंह रावत की नाराजगी का मुख्य कारण बीजेपी के खिलाफ उनकी पुरानी रंजिश, जांच एजेंसियों की कार्रवाई, और कांग्रेस में अपनी छवि व स्थिति को मजबूत करने की कोशिश है। उनके बयान न केवल बीजेपी को निशाने पर ले रहे हैं, बल्कि उत्तराखंड की राजनीति में 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले माहौल गरमाने का काम भी कर रहे हैं।