
देहरादून। प्रेमचंद अग्रवाल का विवादित बयान उनके इस्तीफे के बाद भी बीजेपी का पीछा नहीं छोड़ रहा है. प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद बीजेपी डैमेज कंट्रोल करने में लगी हुई है. वहीं विपक्ष दल कांग्रेस लगातार सरकार पर हमलावर होता दिख रहा है. इसी मसले पर शुक्रवार 21 मार्च को नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और पूर्व विधानसभा स्पीकर गोविंद सिंह कुजवाल ने कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय देहरादून में प्रेस वार्ता. इस दौरान उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी के इस्तीफे के साथ बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट पर कार्रवाई की मांग की.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि बजट सत्र के दौरान सदन में जिस तरीके से तत्कालीन संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने अपने संबोधन में असंसदीय भाषा का प्रयोग किया, उससे उत्तराखंड की समूची जनता आहत हुई है. इस राज्य को बनाने में कई आंदोलनकारियों ने अपनी आहुति दी, तब जाकर यहां उत्तराखंड मिला है.

कांग्रेस के आरोप: यशपाल आर्य का कहना है कि कांग्रेस ने हमेशा इस पर बल दिया कि राज्य में सबका अधिकार है, लेकिन बजट सत्र के दौरान प्रेमचंद अग्रवाल ने जिस भाषा का प्रयोग किया, उसकी सबने निंदा की है. विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी को तत्काल प्रेमचंद अग्रवाल पर कार्रवाई करनी चाहिए थी और उनके बयान को विधानसभा के रिकॉर्ड से निकालने के आदेश देने चाहिए था. साथ ही उन्हें ऐसी भाषा के प्रयोग के लिए टोकना और रोकना चाहिए था.
यशपाल आर्य ने कहा कि प्रेमचंद अग्रवाल ने सदन में जिस तरह की भाषा का प्रयोग किया था, उसके लिए विधानसभा अध्यक्ष खंडूड़ी को उन्हें नोटिस देना चाहिए था और उन शब्दों को सदन की कार्यवाई से बाहर निकालना चाहिए था, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष खंडूड़ी ने ऐसा कुछ नहीं किया, बल्कि उन्होंने जनता का अपमान सुनती रही.
यशपाल आर्य- नेता प्रतिपक्ष, उत्तराखंड – यह समझ से परे है कि पहली बार विधानसभा में चुनकर आए कांग्रेस विधायक लखपत बुटोला ने प्रेमचंद अग्रवाल के बयान पर शालीनता से अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करनी चाही तो विधानसभा अध्यक्ष ने उल्टा बुटोला को ही अपमानित करने का काम किया. विधानसभा अध्यक्ष के इस व्यवहार को स्वीकार नहीं किया जा सकता. विधानसभा अध्यक्ष के इस दुर्व्यवहार के लिए उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं किया जाना संशय पैदा कर रहा है.
संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों से यह अपेक्षा की जाती है कि वह अपने पद के अनुरूप आचरण करेंगे. उसी तरह सदन पीठ से संचालित होता है न कि सरकार सदन को संचालित करती है, जिस तरह विधानसभा अध्यक्ष बीजेपी के सदस्यता अभियान में पार्टी के सदस्य बनाती है और पार्टी के मंचों पर शामिल होती है, यह सब क्रियाकलाप विधानसभा अध्यक्ष के पद की गरिमा के विपरीत हैं.
यशपाल आर्य- नेता प्रतिपक्ष, उत्तराखंड – इसके अलावा यशपाल आर्य ने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के सड़कछाप वाले बयान की भी निंदा की है. यशपाल आर्य ने विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी के साथ-साथ महेंद्र भट्ट के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग उठाई है. यशपाल आर्य के अलावा पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल भी बीजेपी पर जमकर बरसे.
गोविंद सिंह कुंजवाल, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष – बजट सत्र के दरमियान उत्तराखंड विधानसभा में जो कुछ हुआ, इस तरह की घटना पूरे देश के इतिहास में कभी नहीं घटी. इस राज्य को बनाने वालों ने यह कभी नहीं सोचा होगा कि विधानसभा में ऐसी घटना घटेगी. सदन में प्रदेश के मुख्यमंत्री की मौजूदगी होने के बावजूद तत्कालीन संसदीय कार्य मंत्री ने विवाद पैदा किया.
कुंजवाल का कहना है कि अग्रवाल के मुंह से जो शब्द निकले, उसके बाद स्पीकर को शब्द वापस लिए जाने के लिए कहना चाहिए था, लेकिन स्पीकर मौन रही. इससे विवाद और बढ़ गया.
गोविंद सिंह कुंजवाल, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष – स्पीकर का पद संवैधानिक पद है और वह राजनीति से ऊपर उठकर के कार्य करते हैं. जबकि राजनीतिक गतिविधियों से उनका कोई लेना देना नहीं होता है. भाजपा पहाड़ और मैदान में राज्य को बांटना चाहती है. इसलिए भाजपा की लीडरशिप अपने तत्कालीन मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष के दुर्व्यवहार पर मौन है.
कुंजवाल ने विधानसभा अध्यक्ष और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के इस्तीफे की मांग उठाई है। साथ ही कहा है कि अगर उनको पद से नहीं हटाया जाता है तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि भाजपा प्रदेश को दो भागों में बांटना चाहती है.