एसटीएफ का सेलाकुई में फर्जी फार्मा कंपनी पर छापा
एसटीएफ का सेलाकुई में फर्जी फार्मा कंपनी पर छापा
देहरादून। उत्तराखंड निकली दवाइयों के मामले में उत्तराखंड एसटीएफ ने बड़ी कार्रवाई की है. एसटीएफ ने बिना ड्रग लाइसेंस और बिना जीएसटी के फर्जी फार्मा कंपनी खोलकर दवाइयों का करोड़ों का व्यापार करने वाले 6 आरोपियों के खिलाफ थाना डालनवाला में मुकदमा दर्ज कराया है. ये आरोपी गैस्ट्रो, ब्लड प्रेशर और पेन किलर जैसी सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाली नकली दवाई कई राज्यों में सप्लाई कर रहे है. यह घटना अक्टूबर 2025 की है, जब स्थानीय पुलिस ने एक गोदाम पर छापेमारी कर लगभग 13 करोड़ रुपये मूल्य की नकली दवाइयां जब्त कीं। यह मामला स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करने वाला है, क्योंकि ये दवाइयां बिना किसी गुणवत्ता जांच के बेची जा रही थीं।
एसटीएफ के एसआई नरोत्तम बिष्ट ने थाना डालनवाला में शिकायत दर्ज कराई है कि नकली दवाइयां की खरीद फरोख्त जांच के बाद फार्मा कंपनी के मालिक निवासी पानीपत, हरियाणा को कुछ समय पहले गिरफ्तार किया था. फार्मा की जांच कराई गई तो पता चला कि फार्मा फर्जी है. इस पते पर ऐसी कोई फर्म संचालित होते नहीं पाई गई. फर्म के खातों को चेक किया गया तो पाया कि फर्म का बैंक खाता बिना किसी जीएसटी और ड्रग लाइसेंस के 18 अक्टूबर 2023 को खोला गया है.
खाते की जांच में पता चला कि पिछले दो सालों में नकली दवा के व्यापार संबंधित करीब 13 करोड़ से अधिक का लेन देन हुआ है. इस लेनदेन के संबंध में कोई भी दस्तावेज बिल, जीएसटी रिटर्न आदि आरोपी और उसकी पत्नी ने नहीं बनाए हैं. अधिकतर लेन देन दवाइयां की खरीद फरोख्त करने वाली फर्मों में किए गए हैं. साथ ही दवाइयां खरीदने और बेचे जाने संबंधी कोई बिल प्राप्त नहीं हुआ है.
आरोपी और उसकी पत्नी ने संदिग्ध फर्म से शोभा त्यागी और गौरव त्यागी निवासी रुड़की के यस बैंक राजपुर रोड, प्रोफेसर अनुराधा निवासी कनखल के पीएनबी शाखा गुरुकुल कांगड़ी, अभिनव शर्मा निवासी कनखल, हरिद्वार के एचडीएफसी बैंक और गौरव त्यागी निवासी रुड़की के खाते में दवाइयों की राशि का अवैध लेन देन किया है. साथ ही कई अन्य राज्यों में भी इस फार्मा की ओर से नकली दवाइयां के अवैध व्यापार से संबंधित बैंक खाता नंबर प्राप्त किए गए हैं.
एसएसपी एसटीएफ नवनीत भुल्लर ने बताया कि जांच में सामने आया है कि आरोपी प्रदीप कुमार, श्रुति, गौरव त्यागी, शोभा त्यागी, अभिनव शर्मा और अनुराधा ने उत्तराखंड और अन्य राज्यों में नकली दवाइयां का अवैध व्यापार किया है. जिसके तहत एसटीएफ के एसआई नरोत्तम बिष्ट की तहरीर के आधार पर 6 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया और एसटीएफ मामले की जांच कर रही है.
1. घटना का बैकग्राउंड और ट्रिगर
- कब हुआ? छापेमारी 31 अक्टूबर 2025 को देहरादून के सेलाकुई इलाके में की गई। यह ऑपरेशन उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) और ड्रग्स कंट्रोल डिपार्टमेंट के संयुक्त प्रयास से चला।
- कैसे पकड़ा गया? पुलिस को मुखबिर से टिप मिली थी कि एक अंतरराज्यीय गिरोह नकली दवाइयां बनाकर उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में बेच रहा है। जांच में पता चला कि ये दवाइयां चीन और भारत के अन्य राज्यों से आयातित कच्चे माल से बनाई जा रही थीं।
- मुख्य आरोपी: गिरोह का सरगना राकेश कुमार (उम्र 42 वर्ष, मूल रूप से हरियाणा का निवासी) है, जो देहरादून में ही रहता था। उसके साथ 5 अन्य सदस्य गिरफ्तार हुए, जिनमें अमित शर्मा, विजय सिंह आदि शामिल हैं। गिरोह के सदस्य फार्मा कंपनियों के नाम पर नकली लेबल लगाकर दवाइयां पैक करते थे।
2. जब्त सामान की डिटेल्स
- मूल्य: कुल 13.25 करोड़ रुपये की नकली दवाइयां जब्त। इनमें जेनरिक दवाइयां (जैसे पेनकिलर, एंटीबायोटिक्स, डायबिटीज और हाई बीपी की दवाइयां) शामिल थीं।
- मात्रा:
- 10,000 से ज्यादा स्ट्रिप्स (प्रत्येक स्ट्रिप में 10 गोलियां)।
- कच्चा माल: 500 किलो से ज्यादा पाउडर और कैप्सूल, जो नकली बनाने के लिए इस्तेमाल हो रहा था।
- मशीनरी: पैकेजिंग मशीनें, प्रिंटिंग प्रेस और लेबलिंग उपकरण।
- खास बात: ये दवाइयां सुपरमार्केट चेन, लोकल मेडिकल स्टोर्स और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के जरिए बेची जा रही थीं। जांच में पता चला कि इन्हें फर्जी CDSCO (सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन) सर्टिफिकेट के साथ सप्लाई किया जाता था।
3. गिरोह का नेटवर्क और ऑपरेशन
- कैसे काम करता था? गिरोह देहरादून के एक किराए के गोदाम में दवाइयां बनाता था। कच्चा माल दिल्ली और गुड़गांव से आता था। पैकेजिंग के बाद ये दवाइयां ट्रक और कूरियर से अन्य राज्यों भेजी जातीं।
- लाभ: गिरोह प्रतिमाह 2-3 करोड़ का मुनाफा कमा रहा था। असली दवा की कीमत से 50-70% कम लागत पर नकली बेचकर।
- प्रभावित क्षेत्र: मुख्य रूप से उत्तराखंड, यूपी, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश। कुछ दवाइयां सरकारी अस्पतालों तक पहुंच गई थीं, जिससे मरीजों को खतरा हो सकता था।
- अन्य लिंक: जांच में 2 अन्य गोदाम (एक लखनऊ में, एक चंडीगढ़ में) का पता चला, जहां पर आगे छापे की योजना है।
4. कानूनी कार्रवाई और जांच
- FIR दर्ज: IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी), 272 (नकली दवा बेचना) और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 की धारा 18(c) के तहत केस दर्ज।
- गिरफ्तारियां: 6 लोग गिरफ्तार, 2 फरार। STF ने राकेश कुमार से पूछताछ में कई खुलासे किए।
- आगे की जांच: फॉरेंसिक लैब में सैंपल टेस्टिंग चल रही है। आयकर विभाग को भी सूचित किया गया है, क्योंकि मनी लॉन्ड्रिंग का शक है।
- सरकारी प्रतिक्रिया: उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री ने बयान जारी कर कहा कि ऐसी घटनाओं पर सख्ती बरती जाएगी। CDSCO ने पूरे देश में नकली दवाओं की जांच तेज करने के आदेश दिए।
5. प्रभाव और सलाह
- स्वास्थ्य जोखिम: नकली दवाइयां बिना एक्टिव इंग्रीडिएंट के होती हैं, जिससे बीमारियां बढ़ सकती हैं या मौत तक हो सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में हर साल 10% दवाइयां नकली पाई जाती हैं।
नकली दवाईसे बचे के लिए टिप्स:
- दवाइयां हमेशा लाइसेंस्ड फार्मेसी से खरीदें।
- पैकेजिंग पर बैच नंबर, एक्सपायरी डेट और QR कोड चेक करें।
- संदेह हो तो टोल-फ्री नंबर 1800-180-3024 पर शिकायत करें।
सांख्यिकी तुलना: (नीचे एक सरल टेबल में पिछले मामलों से तुलना)
| वर्ष | स्थान | जब्त मूल्य (करोड़ में) | गिरफ्तारियां |
|---|---|---|---|
| 2023 | मुंबई | 8.5 | 4 |
| 2024 | हैदराबाद | 11 | 7 |
| 2025 | देहरादून | 13.25 | 6 |
यह मामला नकली दवा उद्योग की गहराई को उजागर करता है।

