पहाड़ में गुलदार के हमले कम होने का नाम नहीं ले रहे है. चंपावत में गुलदार के हमले से एक महीने में दूसरी मौत हुई.
चम्पावत। उत्तराखंड के चंपावत जिले के बाराकोट ब्लॉक में गुलदार का आतंक बढ़ता जा रहा है। आज (9 दिसंबर 2025) सुबह चुरानी ग्राम सभा के धरगड़ा गांव में एक दर्दनाक घटना घटी, जहां गुलदार ने 42 वर्षीय ग्रामीण देव सिंह अधिकारी पर हमला कर उनकी हत्या कर दी। यह हमला घर के बाहर शौच जाते समय हुआ, जब गुलदार ने अचानक झपट्टा मारा। देव सिंह मजदूरी करके परिवार का भरण-पोषण करते थे और उनके पीछे दो छोटे बच्चे छूट गए हैं। घटना की सूचना मिलते ही ग्रामीण आक्रोशित हो गए और वन विभाग के खिलाफ नारेबाजी की।

घटना का विवरण:
- स्थान: धरगड़ा गांव, चुरानी ग्राम सभा, बाराकोट ब्लॉक, चंपावत जिला।
- समय: 9 दिसंबर 2025 की सुबह।
- पीड़ित: देव सिंह अधिकारी (42 वर्ष), स्थानीय मजदूर।
- कारण: गुलदार ने घर के निकट घात लगाकर हमला किया। पीड़ित की मौके पर ही मौत हो गई।
- प्रभाव: इलाके में दहशत फैल गई। ग्रामीणों ने गुलदार को नरभक्षी घोषित करने और तत्काल कार्रवाई (जैसे शूटिंग या पिंजरा लगाना) की मांग की है।

प्रशासनिक कार्रवाई:
- चंपावत के जिलाधिकारी मौके पर पहुंचे और वन विभाग को निर्देश दिए। वन विभाग ने जांच शुरू कर दी है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि पहले भी कई शिकायतें की गईं, पर कोई स्थायी समाधान नहीं हुआ।
- यह घटना बाराकोट क्षेत्र में पिछले एक महीने की दूसरी मौत है। इससे पहले 12 नवंबर 2025 को लोहाघाट के मंगोली (बाराकोट के निकट) में भुवन राम (45 वर्ष) का शव जंगल में मिला था, जिसे गुलदार ने अपना निवाला बनाया था। उस मामले में भी ग्रामीणों ने पिंजरा लगाने और मुआवजे की मांग की थी।

क्षेत्र में गुलदार आतंक की स्थिति:
बाराकोट और आसपास के इलाकों (जैसे लोहाघाट) में गुलदार के हमले बढ़ रहे हैं, जो मानव-वन्यजीव संघर्ष का संकेत देते हैं। कुछ प्रमुख घटनाएं:
| तारीख | स्थान | विवरण | परिणाम |
|---|---|---|---|
| 9 दिसंबर 2025 | धरगड़ा, बाराकोट | देव सिंह पर हमला | मौत |
| 12 नवंबर 2025 | मंगोली, लोहाघाट | भुवन राम लापता, शव जंगल में | मौत, शव आंशिक खाया गया |
| 18 अक्टूबर 2024 | लोहाघाट | 3 वर्षीय बच्चे पर हमला | घायल, अस्पताल में भर्ती |
| 18 दिसंबर 2024 | राइकोट बुंगा, लोहाघाट | युवक पर जंगल में हमला | गंभीर घायल |
ग्रामीणों का आक्रोश बढ़ रहा है, क्योंकि जंगलों के निकट बसे गांवों में लोग रोजमर्रा के कामों (जैसे शौच, लकड़ी इकट्ठा करना) के दौरान खतरे में हैं। वन विभाग ने पिंजरे लगाने और निगरानी बढ़ाने का आश्वासन दिया है, लेकिन स्थानीय लोग तत्काल राहत चाहते हैं।
यह घटना उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में बढ़ते वन्यजीव हमलों की याद दिलाती है, जहां पौड़ी गढ़वाल जैसे क्षेत्रों में भी हाल ही में इसी तरह की घटनाएं हुई हैं। मृतक के परिवार को शीघ्र मुआवजा और सुरक्षा उपायों की उम्मीद है।
