
EARTHQUAKE IN UTTARAKHAND
उत्तराखंड में जून और जुलाई 2025 में हुई भूकंप की घटनाएँ
देहरादून। उत्तराखंड, हिमालयी क्षेत्र में स्थित होने के कारण, भूकंपीय गतिविधियों के लिए संवेदनशील है। भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट के बीच टकराव के कारण यह क्षेत्र सिस्मिक जोन IV और V में आता है, जहाँ भूकंप का खतरा अधिक रहता है। नीचे दी गई जानकारी उपलब्ध स्रोतों पर आधारित है, जो 1 जून, 23 जून, 28 जून, 8 जुलाई, 9 जुलाई, 14 जुलाई, और 19 जुलाई 2025 को उत्तराखंड में भूकंप की घटनाओं और वैज्ञानिकों के विचारों को संक्षेप में प्रस्तुत करती है।

उत्तराखंड में मॉनसून 2025 के दौरान आए भूकंप का विवरण:
- 1 जून: 2.7 मैग्नीट्यूड, देहरादून के पास बहुत हल्का भूकंप महसूस हुआ.
- 23 जून: 2.5 मैग्नीट्यूड, उत्तरकाशी और चकराता रीजन झटके महसूस किए गए.
- 28 जून: 2.8 मैग्नीट्यूड, फिर से उत्तरकाशी और चकराता रीजन की धरती डोली.
- 8 जुलाई: 3.2 मैग्नीट्यूड, उत्तरकाशी की धरती हिली.
- 9 जुलाई: 3.3 मैग्नीट्यूड, उत्तरकाशी में फिर भूकंप महसूस हुआ.
- 4 जुलाई: 3.0 मैग्नीट्यूड, कोटद्वार के आसपास लोगों झटके महसूस हुए.
- 19 जुलाई 2025 चमोली में देर रात 12:02 बजे उत्तराखंड के चमोली जिले में 3.3 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, भूकंप का केंद्र चमोली से 22 किमी पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम में, जोशीमठ के पास (30.51°N अक्षांश और 79.33°E देशांतर) था, जिसकी गहराई 10 किमी थी। इस भूकंप के कारण लोग घरों और दुकानों से बाहर निकले, लेकिन किसी बड़े नुकसान की सूचना नहीं मिली।

वैज्ञानिकों के अनुसार: वैज्ञानिकों ने उत्तराखंड में बार-बार होने वाले छोटे भूकंपों को हिमालयी क्षेत्र में टेक्टोनिक प्लेटों के घर्षण से जोड़ा है। उत्तराखंड हिमालयी क्षेत्र में भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों के बीच निरंतर टकराव के कारण भूकंपीय रूप से सक्रिय है। यह टकराव ऊर्जा को जमा करता है, जो छोटे भूकंपों के रूप में या भविष्य में बड़े भूकंप के रूप में निकल सकती है।
छोटे भूकंप: वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिक डॉ. नरेश कुमार ने बताया कि छोटे भूकंप (1.8 से 3.6 तीव्रता) धरती के भीतर जमा हो रही ऊर्जा का संकेत हैं। पिछले छह महीनों में उत्तराखंड में 22 छोटे भूकंप दर्ज किए गए, जिनका केंद्र चमोली, उत्तरकाशी, बागेश्वर, और पिथौरागढ़ जैसे पहाड़ी जिलों में था। ये छोटे झटके भविष्य में बड़े भूकंप की संभावना का संकेत हो सकते हैं।
बड़े भूकंप: वैज्ञानिकों के अनुमान के अनुसार, हिमालयी क्षेत्र में जमा हो रही ऊर्जा के कारण भविष्य में 7.0 तीव्रता या उससे अधिक का भूकंप आ सकता है। वाडिया इंस्टीट्यूट और एफआरआई देहरादून में हाल ही में आयोजित कार्यशालाओं (“अंडरस्टैंडिंग हिमालयन अर्थक्वेक्स” और “अर्थक्वेक रिस्क एसेसमेंट”) में भूवैज्ञानिकों ने उत्तराखंड को गंभीर सिस्मिक जोन में होने की पुष्टि की।
डॉ. नरेश कुमार ने यह भी बताया कि भूकंप का सटीक समय और स्थान अनुमान लगाना मुश्किल है। हालांकि, लगातार होने वाले छोटे झटके इस बात का संकेत हैं कि टेक्टोनिक प्लेट्स सक्रिय हैं और ऊर्जा का संचय हो रहा है।