
फ्रांसेस्का अल्बानीज, 1967 से कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्रों में मानवाधिकारों की स्थिति पर विशेष रिपोर्टर.
संयुक्त राष्ट्र। अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की विशेष दूत फ्रांसेस्का अल्बानीज़ (Francesca Albanese) पर प्रतिबंध लगाए, जो गाजा और कब्जे वाले फलस्तीनी क्षेत्रों में मानवाधिकार उल्लंघनों की जांच कर रही थीं। यह कार्रवाई उनके द्वारा इजरायल की आलोचना और गाजा में इजरायली कार्रवाइयों को “नरसंहार” (genocide) कहने के बाद की गई, जिसे अमेरिका ने “यहूदी-विरोधी” (antisemitic) करार दिया।
प्रमुख बिंदु:
- प्रतिबंध का कारण: अमेरिका ने फ्रांसेस्का अल्बानीज़ पर उनके बयानों और रिपोर्ट्स को आधार बनाकर प्रतिबंध लगाए, जिसमें उन्होंने गाजा में इजरायली सैन्य कार्रवाइयों को मानवता के खिलाफ अपराध और संभावित नरसंहार के रूप में चिह्नित किया। अमेरिका और इजरायल का दावा है कि उनके बयान पक्षपातपूर्ण और यहूदी-विरोधी हैं। इसके अलावा, अल्बानीज़ ने अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) के उस प्रयास का समर्थन किया, जिसमें इजरायली और अमेरिकी नागरिकों पर मुकदमे की बात थी, जिसे अमेरिका ने अस्वीकार्य माना।
- प्रतिबंधों का स्वरूप: इन प्रतिबंधों के तहत अल्बानीज़ के बैंक खातों पर रोक लगाई गई और उनके ईमेल तक पहुंच सीमित कर दी गई। अमेरिका ने यह भी चेतावनी दी कि यदि वे अमेरिका की यात्रा करती हैं, तो उनकी गिरफ्तारी हो सकती है।
- अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया:
- संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर टर्क ने इन प्रतिबंधों की निंदा की और इसे तत्काल हटाने की मांग की। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई मानवाधिकार जांच को कमजोर करती है।
- ह्यूमन राइट्स वॉच की निदेशक लिज ईवनसन ने कहा कि ये प्रतिबंध पीड़ितों को न्याय से वंचित करेंगे।
- कई गैर-सरकारी संगठनों ने भी इन प्रतिबंधों की आलोचना की और इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया।
- पृष्ठभूमि: यह विवाद तब और गहरा गया जब ICC ने नवंबर 2024 में इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और पूर्व रक्षा मंत्री योआव गैलेंट के खिलाफ गाजा में युद्ध अपराधों (नागरिकों को निशाना बनाने और मानवीय सहायता रोकने) के आरोप में गिरफ्तारी वारंट जारी किए। अमेरिका, जो ICC का सदस्य नहीं है, ने इस कदम का विरोध किया और इसके जवाब में अल्बानीज़ पर प्रतिबंध लगाए।
- अमेरिका का रुख: अमेरिका ने इन प्रतिबंधों को अपनी नीति के तहत उचित ठहराया, जिसमें वह अपने और अपने सहयोगी इजरायल के नागरिकों के खिलाफ ICC की कार्रवाइयों का विरोध करता है। अमेरिकी प्रशासन ने इसे राष्ट्रीय हितों की रक्षा और यहूदी-विरोधी बयानों के खिलाफ कार्रवाई के रूप में प्रस्तुत किया।
व्यापक संदर्भ:
- अमेरिका-इजरायल संबंध: अमेरिका लंबे समय से इजरायल का मजबूत समर्थक रहा है और गाजा में इजरायली कार्रवाइयों की आलोचना करने वाले किसी भी कदम का विरोध करता है।
- ICC और अमेरिका: अमेरिका ICC की वैधता को मान्यता नहीं देता और इसके अधिकार क्षेत्र को अपने या अपने सहयोगियों पर लागू होने से रोकता है।
- मानवाधिकार पर अमेरिका का रुख: यह कदम अमेरिका की उस व्यापक नीति का हिस्सा है, जिसमें वह उन व्यक्तियों या संगठनों पर प्रतिबंध लगाता है, जो उसके हितों या सहयोगियों के खिलाफ माने जाते हैं।
निष्कर्ष:
यह मामला अमेरिका की विदेश नीति, इजरायल के प्रति उसके समर्थन, और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार जांचों के प्रति उसके रवैये को दर्शाता है। अल्बानीज़ पर प्रतिबंधों को मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और संयुक्त राष्ट्र ने स्वतंत्र जांच पर हमला माना है, जबकि अमेरिका इसे अपने हितों की रक्षा का कदम बताता है। यह विवाद गाजा में चल रहे संघर्ष और अंतरराष्ट्रीय जवाबदेही के सवालों को और जटिल करता है।