
-यूसीसी पर जनमत संग्रह कराएगी कांग्रेस, लोगों को देने होंगे 15 प्रश्नों के जवाब
देहरादून। समान नागरिक संहिता को लेकर कांग्रेस पूरे राज्य में जनमत संग्रह कराने जा रही है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा और एडवोकेट वीरेंद्र सिंह खुराना ने संयुक्त प्रेस वार्ता करते हुए आज यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर एक फॉर्म जारी किया है. कांग्रेस सभी जिला ब्लॉक नगर और न्याय पंचायत स्तर पर फॉर्म भेजेगी. जिसमें 15 प्रश्न दिए गए हैं. इसके बाद कांग्रेस राज्य भर से आए डाटा को एआईसीसी व मीडिया को प्रस्तुत करेगी. साथ ही पार्टी के आईटी विभाग की ओर से भी डिजिटल माध्यम से फॉर्म जारी किए जाएंगे.
UNIFORM CIVIL CODE – कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने बताया कि यूनिफॉर्म सिविल कोड को राज्य में लागू कर दिया गया है, लेकिन आज भी राज्य के निवासी इस कानून की आवश्यकता और उपयोगिता को नहीं समझ पा रहे हैं. यह संहिता लिव इन रिलेशनशिप को बढ़ावा दे रही है, जबकि भारत और देवभूमि उत्तराखंड की संस्कृति इसे बिल्कुल स्वीकार नहीं करती है, इसलिए कांग्रेस यूसीसी से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर पर जनता से सहमति या असहमति जानने के लिए जनमत संग्रह करा रही है. उन्होंने संहिता में भाग तीन की धाराएं 378 से 389 पर अपना विरोध दर्ज कराया है.
UNIFORM CIVIL CODE – कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने बताया कि देश की संस्कृति कभी यह अनुमति नहीं देती है कि सहवासी संबंध बनाने की इजाजत दी जाए. एक तरफ प्रदेश में मूल निवास की बात हो रही है, लेकिन दूसरी तरफ उत्तराखंड में कोई व्यक्ति 1 साल रहता है, तो क्या उसे राज्य का स्थाई निवासी मानना सही है. वहीं, बाहरी व्यक्ति को यहां पर लिव इन की छूट दी जा रही है.
UNIFORM CIVIL CODE – करन माहरा ने सवाल उठाया कि उत्तराखंड का कोई परिवार क्या इस चीज के लिए सहमत है कि उनके बच्चे बिना शादी के सहवासी संबंध बनाएं, इसलिए समान नागरिक संहिता का भाग 3 भाजपा के दोहरे चरित्र को दर्शाता है. इसके विरोध में कांग्रेस सामूहिक रूप से आगामी 20 फरवरी को बड़े स्तर पर विधानसभा घेराव करने जा रही है.
UNIFORM CIVIL CODE – एडवोकेट वीरेंद्र सिंह खुराना का कहना है कि भाजपा सरकार संहिता की आड़ में परिवार की इकाई को जोड़ने की जगह तोड़ने का काम कर रही है. भाजपा लिव इन को बढ़ावा देकर क्या चाहती है. यह समझ से परे है. उन्होंने कहा कि जो जनमत संग्रह कांग्रेस करा रही है, उसे पांच सदस्यीय कमेटी को कराना चाहिए था और यह जानने की कोशिश की जानी चाहिए थी कि क्या पब्लिक लिव इन में रहना चाहती है, लेकिन भाजपा सरकार की ओर से ऐसा कोई जनमत संग्रह नहीं कराया गया.