अमेरिका के बाल्टीमोर में ‘फ्रांसिस स्कॉट की’ ब्रिज के ढहने के एक हफ़्ते बाद भी लगभग दो दर्जन नाविक उस जहाज़ में फंसे हुए हैं,
डाली नाम के 948 फुट (289 मीटर) लंबे मालवाहक जहाज़ के चालक दल के ज़्यादातर सदस्य भारतीय हैं. तो इनमें से एक नाविक को मामूली चोटें आई थीं. और इस हादसे में छह लोग मारे गए थे.
तफ़्तीश करने वाली एजेंसी अभी ये तय करने में जुटे हैं कि जहाज़ के पुल से टकराने की आख़िर वजह क्या थी. अभी ये साफ़ नहीं है कि जहाज़ पर सवार चालक दल के सदस्य उसे छोड़कर जा भी पाएंगे या नहीं.
डाली जहाज़ पर सवार लोगों और उनके मौजूदा हालात के बारे में हमें अभी जो जानकारी है, वो कुछ इस तरह है:
- हादसे के वक़्त डाली नाम के कंटेनर शिप पर चालक दल के 21 सदस्य सवार थे. हादसा उस वक़्त हुआ, जब ये जहाज़ श्रीलंका जाने के अपने 21 दिनों के सफर पर निकल रहा था.
- भारत ने इस बात की तस्दीक़ की है कि जहाज़ चलाने वालों में से 20 लोग भारत के नागरिक हैं.
- पिछले हफ़्ते भारत के एक अधिकारी ने बताया था कि जहाज़ पर सवार सभी लोगों की सेहत अच्छी है. इनमें वो व्यक्ति भी शामिल है, जिसे हादसे की वजह से चोटें आईं थीं और टांके लगाने पड़े थे.
- इसके अलावा, चालक दल के सदस्यों की रिहाइश, उनके परिवार और तजुर्बे के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है.
- डाली कंटेनर शिप पर सवार लोगों के संपर्क में जो गिने चुने लोग आए हैं, उनमें से एक जोशुआ मेसिक भी हैं. वो बाल्टीमोर इंटरनेशनल सीफेयरर्स सेंटर के निदेशक हैं. ये एक स्वयंसेवी संगठन है, जो समुद्री जहाज़ों में काम करने वालों के अधिकारों की हिफ़ाज़त के लिए काम करता है.
- जोशुआ मेसिक ने बताया कि उन्होंने जहाज़ पर सवार लोगों की मदद के लिए कुछ सामान भिजवाया था. इसमें वाई-फाई हॉटस्पॉट भी था. उसके बाद उन्होंने व्हाट्सऐप के ज़रिए उन लोगों से बात की थी.
- उन्होंने बताया कि चालक दल के सदस्य ‘घबराए हुए’ हैं, और उन्होंने तफ़्तीश के दौरान पूरी तरह से ख़ामोशी अख़्तियार कर रखी है.
- जोशुआ ने कहा कि, ‘जितने लोगों ने उनसे संपर्क किया है, उनमें से किसी से भी उन्होंने कोई ख़ास बात नहीं की. शनिवार तक तो उनके पास वाई-फाई की सुविधा भी नहीं थी और उनको तो पता भी नहीं था कि उनके बारे में दुनिया का ख़याल क्या है. उनको ये पक्के तौर पर नहीं मालूम था कि इस हादसे के लिए उनको दोषी ठहराया जा रहा है, विलेन बनाया जा रहा है या नहीं. उनको तो पता ही नहीं था कि हादसे के बाद वो क्या उम्मीद लगाएं या क्या आशंकाएं अपने मन में पालें’
- जोशुआ ने ये भी कहा कि, ‘वो बहुत संवेदनशील हालात में हैं. अगर वो कुछ भी बोलते हैं, तो इसे उनकी कंपनी से जोड़कर देखा जाएगा. मेरा अंदाज़ा है कि उन्हें फिलहाल ख़ामोश रहने के लिए ही कहा गया है.’
- एंड्रयू मिडलटन एपोस्टलशिप ऑफ सी नाम का एक कार्यक्रम चलाते हैं, जो बाल्टीमोर आने जाने वाले जहाज़ों की मदद करता है. उन्होंने कहा कि टक्कर के बाद से वो दिन में कई बार चालक दल के सदस्यों से बात करते रहते हैं. एंड्रयू ने कहा कि, ‘उन सबने यही बताया कि वो ठीक हैं.’
चालक दल को जहाज़ से बाहर कब आने दिया जाएगा?
- अधिकारियों ने बताया कि अभी तो जहाज़ पर सवार लोगों को उसमें से उतरने की इजाज़त देने की कोई योजना नहीं है. अभी भी जहाज़ को स्थिर करने पर काम चल ही रहा है. इस बात की उम्मीद कम ही है कि जहाज़ पर सवार लोगों को तब तक उसमें से जाने दिया जाएगा, जब तक उसे वहां से हटा नहीं दिया जाता. ये एक बेहद जटिल और काफ़ी लंबी प्रक्रिया है.
- शुक्रवार को कोस्ट गार्ड के एडमिरल शैनन गिलरीथ ने बताया था कि उनकी पहली प्राथमिकता तो बाल्टीमोर बंदरगाह और जहाज़ों के आने-जाने के रास्ते को खोलना है. डाली जहाज़ को वहां से हटाने का काम तो उसके बाद का है.
- यहां तक कि सामान्य हालात में भी अमेरिकी बंदरगाहों पर आए जहाज़ों पर सवार चालक दल के विदेशी नागरिकों को उतरने की इजाज़त देने के लिए काफ़ी काग़ज़ी कार्रवाई पूरी करनी होती है.
- वीज़ा के अलावा, नाविकों के पास तट पर घूमने फिरने की इजाज़त देने वाले वाजिब पास भी होने चाहिए, तभी वो जहाज़ से उतरकर बाहर आ सकते हैं, उनको जहाज़ से उतारकर किसी की निगरानी में ही बंदरगाह के टर्मिनल गेट से बाहर लाया जा सकता है. हालांकि, ये काम वो तमाम अलाभकारी संगठन कर सकते हैं, जो यहां आने वाले समुद्री जहाज़ों के कर्मचारियों के साथ काम करते हैं.
- अभी ये साफ़ नहीं है कि डाली पर सवार लोगों के पास जहाज़ से उतरने के लिए ज़रूरी सारे काग़ज़ हैं, या नहीं.
- बाल्टीमोर हादसे से निपटने के लिए बनाई गई एकीकृत कमान ने सोमवार को बताया था कि अभी ये साफ़ नहीं है कि तफ़्तीश कब तक चलेगी, और जब तक ये ‘प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक चालक दल के सदस्यों को जहाज़ पर ही रहना होगा.’
- चिराग़ बाहरी एक तजुर्बेकार भारतीय जहाज़ी हैं, जो अब ब्रिटेन स्थित इंटरनेशनल सीफेयरर्स वेलफेयर ऐंड असिस्टेंस नेटवर्क के इंटरनेशनल ऑपरेशंस मैनेजर हैं. चिराग़ का मानना है कि डाली पर सवार सभी नाविकों को अपने घर लौटने में महीनों का वक़्त लग सकता है.
- चिराग़ कहते हैं कि, ‘हो सकता है कि कुछ हफ़्तों के बाद कुछ चालक दल के कुछ जूनियर सदस्यों को घर वापस भेज दिया जाए. लेकिन सीनियर सदस्यों को जांच पूरी होने तक अमेरिका में ही रोककर रखा जाएगा.’
चालक दल के सदस्यों को क्या चाहिए?
डाली के नाविकों के पास खाना-पानी और ज़रूरत के दूसरे सामान पहले से ही भरपूर मात्रा में मौजूद हैं. क्योंकि वो श्रीलंका जाने के 21 दिनों की तैयारी करके रवाना हुए थे.
जहाज़ पर सवार लोगों को उन स्वयंसेवी संगठनों से भी सामान मिल सकेगा, जो जहाज़ियों के लिए काम करते हैं. जोशुआ मेसिक ने कहा कि इनमें पकाया हुआ खाना और दूसरे सामान शामिल होंगे.
चिराग़ बाहरी और जोशुआ मेसिक कहते हैं कि, ‘नाविकों की ज़्यादा ज़रूरतें मनोवैज्ञानिक हैं.’
जोशुआ ने कहा कि जब जहाज़ चलाने वाले लंबे वक़्त तक दुनिया से अलग थलग और ख़ाली बैठे रहते हैं, तो उनकी सबसे बड़ी चुनौती बोरियत और उदासी से निपटने की होती है. बहुत से नाविक नौजवान होते हैं. वो वक़्त काटने के लिए वीडियो गेम खेलने लगते हैं या सोशल मीडिया पर वक़्त बिताते हैं.
जोशुआ मेसिक ने कहा कि, ‘जहाज़ चलाने वाले उस वक़्त सबसे ज़्यादा ख़ुश रहते हैं, जब चालक दल के सारे सदस्य इकट्ठा होकर एक दूसरे के साथ लुत्फ़ उठाते हैं. पर अफ़सोस की बात ये है कि हमेशा ऐसा होता नहीं है.’
वहीं, चिराग़ बाहरी को लगता है कि इस हादसे की वजह से चालक दल के सदस्य मीडिया में सुर्ख़ियां बटोर रहे हैं कि आख़िर क्या गड़बड़ हुई और इसके लिए किसे ज़िम्मेदार ठहराया जाना चाहिए. ऐसे में उन्हें अपनी मानसिक सेहत दुरुस्त रखने के लिए सहायता की दरकार होगी.
चिराग़ कहते हैं कि, ‘आज जिसे देखो वही इस हादसे की पहेली को सुलझाने में जुटा हुआ है. ये बंद होना चाहिए.’
उन्होंने कहा कि, ‘जहाज़ चलाने वाले पहले ही सदमे और तनाव के शिकार होंगे. वो अभी भी विदेशी धरती पर एक जहाज़ में फंसे हुए हैं. हमें उनके साथ खड़ा होना चाहिए, ताकि उन्हें इस बात का भरोसा दिलाया जा सके कि इस मुश्किल वक़्त में उनको दोषी नहीं ठहराया जाएगा.’