Life2vec – डेनमार्क के शोधकर्ताओं ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और लाखों लोगों के आंकड़ों की मदद से ऐसा एल्गोरिदम बनाया है जो लोगों को जीवन के हर चरण का सही अनुमान लगा सकता है यहां तक कि इससे यह भी पता चल सकेगा कि व्यक्ति के मौत कब होगा.
शोधकर्ताओं का कहना है कि उनका मकसद तकनीक की ताकत और उसके खतरों के प्रति जागरूकता पैदा करना है. लेकिन इसकी सबसे खास बात इसकी मौत का अनुमान लगाने की क्षमता है।
Life2vec – नाम का यह एल्गोरिदम डीप लर्निंग प्रोग्राम के जरिए लोगों के जीवन के सेहत और सामाजिक जीवन की घटनाओं का अनुमान लगा सकेगा. शोधकर्ताओं का कहना है कि यह मानव जीवन का अनुमान लगाने का बहुत ही सामान्य सा ढांचा है. अध्ययन के नतीजे नेचर कम्प्यूटेशनल साइंस जर्नल में प्रकाशित हुए हैं।
यह टूल सेहत संबंधी बहुत से अनुमान लगा सकता है. यानी प्रजनन, मोटापा, कैंसर की संभावना, से लेकर यह तक बता सकता है कि व्यक्ति बहुत सारा पैसा कमा सकेगा या नहीं.
Life2vec – यह एल्गोरिदम चैट जीडीपी की ही तरह का प्रोसेस का उपयोग करता है लेकिन यह जीवन के कई पहलुओं जैसे की जन्म, शिक्षा, सामाजिक लाभ और वर्क शेड्यूल जैसी चीजों का विश्लेषण करता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस प्रोग्राम को जल्दी ही डेथ कैल्क्यूलेटर का नाम दिया जाने लगा है. एएफपी के मुताबिक इसमें कुछ फ्रॉड वेबसाइट लोगों को अपनी निजी जानकारी देने के एवज में एआई के जरिए जीवन प्रत्याशा बताने का वादा तक कर रही हैं. पर शोधकर्ताओं का कहना है कि फिलहाल यह सॉफ्टवेयर निजी है और इंटरनेट पर उपलब्ध नहीं है।
Life2vec – लाइफ2वेक मॉडल में डेनमार्क के ही साठ लाख लोगों के आंकड़े हैं, जिसने आधिकारिक स्टैटिस्टिक्स डेनमार्क एजेंसी ने जमा किया है. घटनाओं के क्रम का अध्ययन कर यह अंतिम सांस तक का पूर्वानुमान लगा सकता है.
मौत का पूर्वानुमान लगाने में यह 78 फीसदी सटीक रहा है. शोधकर्ताओं का कहना है कि वे 35 से 65 के बीच के लोगों का पूर्वानुमान लगाते हैं और 2008 से 2016 के 8 साल के समय के आधार पर बताते हैं कि अगले चार साल में व्यक्ति मर सकता है या नहीं. अभी यह टूल रिसर्च सेटिंग के बाहर उपयोग के लिए तैयार नहीं है।