देहरादून। उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में जहां कोहरा लोगों की मुसीबत बढ़ा रहा है, तो वहीं पहाड़ों में तापमान नीचे लुढ़कता जा रहा है. उत्तराखंड के ऊपरी इलाकों में नदी, झरने पूरी तरह से जम गए हैं. लेकिन अभी भी उत्तराखंड के पर्यटक स्थलों पर बर्फबारी होने का इंतजार हो रहा हैं. क्योंकि क्रिसमस और नया साल का जश्न मनाने सैकड़ों पर्यटक उत्तराखंड पहुंचते हैं.

मुख्य इलाके जहां नदी-झरने जमे हैं:
- चमोली जिले की नीति घाटी (Niti Valley): यहां चीन सीमा के बहुत करीब (अंतिम गांव नीति) है। झरने और नाले बर्फ में तब्दील हो गए हैं। टिम्मरसैंण महादेव क्षेत्र में प्राकृतिक बर्फीले शिवलिंग बन रहे हैं, और झरने जमे हुए हैं। यह इलाका भारत-चीन सीमा पर स्थित है।
- उत्तरकाशी जिले का गंगोत्री क्षेत्र (Gangotri Dham): यहां नदी-झरने और छोटी नदियां जम गई हैं। गंगोत्री में तापमान माइनस 10 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है, जिससे पानी के स्रोत पूरी तरह जम गए हैं। यह क्षेत्र भी हिमालयी सीमा के करीब है (यद्यपि मुख्य चीन सीमा चमोली और पिथौरागढ़ में ज्यादा है, लेकिन उच्च ऊंचाई वाली ठंड यहां भी प्रभावी है)।

अन्य जानकारी:
- पिथौरागढ़ जिले में भी ऊंचाई वाले इलाकों में ठंड बढ़ी है और पाला गिर रहा है, लेकिन स्पष्ट रूप से नदियों के जमने की खबरें नीति घाटी और गंगोत्री से ज्यादा आई हैं।
- स्थानीय लोगों को पीने के पानी की समस्या हो रही है क्योंकि पाइपलाइन और प्राकृतिक स्रोत जम गए हैं।

फिलहाल मौसम विभाग के अनुसार 20 और 21 दिसंबर को उत्तराखंड के कुछ इलाकों में बारिश और बर्फबारी हो सकती है. लेकिन मौसम विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि नए साल पर उत्तराखंड में पर्यटकों को बर्फबारी मिलेगी या नहीं? अभी इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता हैं.

