लैंसडाउन BJP विधायक दिलीप रावत
देहरादून। उत्तराखंड के पौड़ी जिले के लैंसडाउन विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी विधायक महंत दिलीप सिंह रावत ने शुक्रवार (5 दिसंबर 2025) को एक बाघ के हमले में एक महिला की मौत के बाद अपनी ही सरकार को इस्तीफे की चेतावनी दी है। उन्होंने वन्यजीवों के बढ़ते हमलों को रोकने में वन विभाग और सरकार की नाकामी का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होती और उनकी आवाज अनसुनी रहती है, तो वे इस्तीफा देने पर मजबूर हो जाएंगे। यह बयान क्षेत्र में लगातार हो रहे वन्यजीव हमलों के बीच आया है, जहां लोग डर के साये में जीने को मजबूर हैं।
घटना क्या थी?
- स्थान और समय: जयहरिखाल विकासखंड के सिरोबाड़ी गांव में शुक्रवार शाम को एक 60 वर्षीय महिला ऊर्मिला देवी (राजेंद्र सिंह की पत्नी) पर बाघ ने हमला कर दिया। ऊर्मिला अपने घर के पास घास काट रही थीं, जब उनकी बहू प्रिया बच्चे के रोने की आवाज सुनकर घर लौटीं। इस दौरान झाड़ियों से निकला बाघ ऊर्मिला पर झपटा, उन्हें करीब 50 मीटर जंगल में घसीट ले गया और मार डाला।
- बचाव का प्रयास: प्रिया ने ऊर्मिला को ढूंढा तो बाघ उनके शव के पास बैठा मिला। उन्होंने चीख मचाई, जिससे ग्रामीण जमा हो गए और बाघ को जंगल में भगा दिया। विधायक दिलीप रावत घटनास्थल पर कलागढ़ टाइगर रिजर्व के फॉरेस्ट रेंज टीम के साथ पहुंचे। शव को गांव लाया गया।
- क्षेत्र का संदर्भ: लैंसडाउन विधानसभा क्षेत्र कलागढ़ वन प्रभाग से सटा हुआ है, जहां बाघों का आतंक बढ़ रहा है। कुछ रिपोर्टों में इसे गुलदार (तेंदुआ) का हमला बताया गया है, लेकिन अधिकांश स्रोत बाघ ही मान रहे हैं, क्योंकि क्षेत्र टाइगर रिजर्व से जुड़ा है।
विधायक ने क्या कहा?
विधायक रावत ने मृतका के परिवार से मिलने के दौरान गुस्सा जाहिर करते हुए कहा:
- “अगर ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हो पाती और मेरी आवाज अनसुनी ही होती रही, तो वह इस्तीफा देने तक का फैसला ले लेंगे।”
- उन्होंने सरकार से वन अधिनियम में ढील देने, बाघ को तुरंत गोली मारने की अनुमति देने और स्थायी सुरक्षा व्यवस्था की मांग की। साथ ही, 11 साल से लंबित सड़क निर्माण कार्य पूरा करने की बात कही।
- “यदि सरकार वन अधिनियम में शिथिलता लाकर उत्तराखंड की परिस्थितियों के अनुरूप नियम नहीं बनाती है और उनके क्षेत्र में 11 साल से जो सड़क लंबित पड़ी हैं उसका काम पूरा नहीं होता है तो उन्हें मजबूरन इस्तीफा देना पड़ेगा।” रावत ने बताया कि उन्होंने विधानसभा और सरकार के सामने कई बार यह मुद्दा उठाया, लेकिन कोई ठोस फैसला नहीं हुआ। उनका कहना है कि जंगल के रास्तों पर निर्भर ग्रामीणों की जिंदगी खतरे में है।
वन्यजीव हमलों का बैकग्राउंड
- उत्तराखंड में वन्यजीव हमले तेजी से बढ़ रहे हैं। लैंसडाउन क्षेत्र में बाघ और तेंदुओं के हमले आम हो गए हैं, खासकर महिलाओं और बच्चों पर। सड़कों की कमी के कारण लोग जंगलों से गुजरने को मजबूर हैं, जो खतरा बढ़ाता है।
- हाल ही में रामनगर में भी एक तेंदुए ने एक युवक पर हमला किया था। ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग और प्रशासन घटनाओं के बाद ही सक्रिय होता है, लेकिन स्थायी समाधान नहीं करता।
- विधायक ने मांग की है कि वन्यजीव कानूनों को राज्य की भौगोलिक स्थिति के अनुसार ढीला किया जाए, ताकि तत्काल कार्रवाई हो सके।
सरकार की प्रतिक्रिया?
फिलहाल सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान या प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, यह बयान बीजेपी सरकार के लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है, क्योंकि विधायक अपनी ही पार्टी की सरकार पर सवाल उठा रहे हैं।
यह घटना उत्तराखंड में मानव-वन्यजीव संघर्ष को उजागर करती है, जहां स्थानीय लोग सुरक्षा की मांग कर रहे हैं। अगर और अपडेट आते हैं, तो स्थिति बदल सकती है।
