हरिद्वार। पतंजलि आयुर्वेद के “गाय का घी” (Patanjali Cow Ghee) से जुड़ा यह मामला उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में खाद्य सुरक्षा विभाग की जांच से शुरू हुआ। 27 नवंबर को अपर जिलाधिकारी पिथौरागढ़ योगेंद्र सिंह के न्यायालय ने पतंजलि के गाय के घी के सैंपल फेल पाए जाने पर पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और तीन कारोबारियों पर जुर्माना लगाया था. बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड इस फैसले से खुश नहीं है. यह घी FSSAI (Food Safety and Standards Authority of India) के मानकों पर खरा नहीं उतरा, जिसके बाद कोर्ट ने कंपनी पर जुर्माना लगाया।
केस का बैकग्राउंड
- 20 अक्टूबर 2020: पिथौरागढ़ के कासनी क्षेत्र में स्थित “करन जनरल स्टोर” से खाद्य सुरक्षा अधिकारी दिलीप जैन ने रूटीन इंस्पेक्शन के दौरान पतंजलि गाय का घी का सैंपल कलेक्ट किया। यह सैंपल खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम (FSS Act) के तहत लिया गया।
- नवंबर 2021: सैंपल को पहले उत्तराखंड के रुद्रपुर स्थित राज्य खाद्य प्रयोगशाला भेजा गया, जहां यह सब-स्टैंडर्ड (निम्न गुणवत्ता) पाया गया। रिपोर्ट में घी के RM Value (Reichert-Meissl Value, जो घी की शुद्धता मापने का एक पैरामीटर है) में कमी बताई गई, जो FSSAI मानकों से नीचे था। RM Value घी की वसा संरचना से जुड़ा होता है और इसमें कमी मिलावट या प्रोसेसिंग की ओर इशारा कर सकती है।
- 15 अक्टूबर 2021: कंपनी के अनुरोध पर सैंपल को दोबारा टेस्ट के लिए गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) की नेशनल फूड लैबोरेटरी भेजा गया। यहां भी 26 नवंबर 2021 को रिपोर्ट आई, जिसमें घी फेल हो गया। रिपोर्ट में कहा गया कि यह घी खपत के लिए अनुपयुक्त है और इसके सेवन से स्वास्थ्य जोखिम (जैसे पेट संबंधी समस्याएं या अन्य साइड इफेक्ट्स) हो सकते हैं।
- 17 फरवरी 2022: दोनों लैब रिपोर्ट्स के आधार पर मामला पिथौरागढ़ के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (ADM) कोर्ट में पेश किया गया। नोटिस जारी होने के बाद लंबी सुनवाई चली।
- 28 नवंबर 2025: कोर्ट ने फैसला सुनाया। कुल 1.40 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया, जो निम्नानुसार बंटा:
- पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड (निर्माता): 1.25 लाख रुपये।
- वितरक और खुदरा विक्रेता (दो अन्य कारोबारी): 15,000 रुपये।
पतंजलि कंपनी का पक्ष और सफाई
- 28 नवंबर 2025: कंपनी ने आधिकारिक बयान जारी कर सफाई दी। पतंजलि ने कहा कि यह मामला 2020 का पुराना है और मीडिया रिपोर्ट्स से उन्हें पहली बार पता चला। उन्होंने कोर्ट के फैसले को “त्रुटिपूर्ण और विधि-विरुद्ध” बताया।
- मुख्य दलीलें:
- RM Value एक प्राकृतिक पैरामीटर है, जो मौसम, गाय के चारे, क्षेत्र और जलवायु के आधार पर बदलता रहता है। FSSAI खुद समय-समय पर इसके मानक अपडेट करता है।
- कोर्ट के फैसले में कहीं नहीं कहा गया कि घी “स्वास्थ्य के लिए हानिकारक” है।
- कंपनी ने दावा किया कि उनके घी के अन्य सैंपल अन्य लैब्स में पास हो चुके हैं, और यह “साजिश” का हिस्सा लगता है।
- कंपनी ने अपील करने का संकेत दिया है, लेकिन अभी कोई आगे की कानूनी कार्रवाई की घोषणा नहीं हुई।
पुराने समान केस (संदर्भ के लिए)
पतंजलि के प्रोडक्ट्स पर पहले भी गुणवत्ता के सवाल उठे हैं, जो इस केस को संदर्भ देते हैं:
- 2022: उत्तराखंड के टिहरी में पतंजलि घी का सैंपल रुद्रपुर लैब में फेल हुआ। बाबा रामदेव ने इसे “साजिश” बताया और गाजियाबाद लैब टेस्ट पास होने का दावा किया।
- 2017: हरियाणा FDA ने पतंजलि घी को “अनसेफ” घोषित किया। इसी साल अमला जूस CSD कैंटीन से हटाया गया।
- 2025 (अगस्त): एक अन्य रिपोर्ट में पतंजलि काउ ग्रीस सैंपल फेल होने पर केस फाइल करने की बात कही गई। ये केस दर्शाते हैं कि कंपनी के डेयरी प्रोडक्ट्स पर बार-बार जांच होती रही है।
वर्तमान स्थिति और सलाह (29 नवंबर 2025 तक)
- अपडेट: कोर्ट का फैसला कल (28 नवंबर) ही आया है, इसलिए कोई अपील या आगे की सुनवाई की खबर नहीं। सोशल मीडिया पर बहस तेज है, जहां कुछ यूजर्स (जैसे गायिका नेहा सिंह राठौर) ने इसे “ED रेड” जैसी राजनीतिक साजिश बताकर तंज कसा है। लेकिन कोई नया ट्विस्ट नहीं।
- उपभोक्ता सलाह: खाद्य विभाग ने चेतावनी दी है कि अगर आपके पास पतंजलि गाय का घी है (खासकर 2020 बैच का), तो इसे तुरंत न इस्तेमाल करें और डिस्पोज कर दें। हमेशा FSSAI लाइसेंस चेक करें और प्रमाणित प्रोडक्ट्स खरीदें।
- कंपनी का स्टैंड: पतंजलि का कहना है कि उनके सभी प्रोडक्ट्स सुरक्षित हैं, लेकिन इस केस में जुर्माना चुकाने की कोई घोषणा नहीं।
यह केस पतंजलि की बढ़ती मार्केट शेयर (FMCG में मजबूत) के बीच गुणवत्ता नियंत्रण पर सवाल उठाता है।
