देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को रोकने और पीड़ित परिवारों को राहत प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने वन्यजीव हमलों में जान गंवाने वाले परिवारों के लिए मुआवजा राशि को बढ़ाकर 10 लाख रुपये करने का फैसला लिया है। यह निर्णय राज्य में बढ़ते वन्यजीव संघर्ष को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, जहां बाघ, गुलदार, हाथी और अन्य जंगली जानवरों के हमलों से ग्रामीणों को भारी नुकसान हो रहा है।
फैसले की मुख्य बातें:
- मुआवजा वृद्धि: पहले मृत्यु पर मिलने वाली अनुग्रह राशि 6 लाख रुपये थी (जो 2023 में 3 लाख से बढ़ाई गई थी)। अब इसे 10 लाख रुपये कर दिया गया है। यह राशि ‘मानव वन्यजीव संघर्ष राहत वितरण निधि नियमावली’ के तहत दी जाएगी।
- अन्य प्रावधान:
- वन्यजीव हमलों में घायल व्यक्तियों के इलाज का पूरा खर्च राज्य सरकार वहन करेगी।
- घायलों को आर्थिक सहायता के साथ आयुष्मान कार्ड के माध्यम से निःशुल्क इलाज की सुविधा मिलेगी।
- कारण: उत्तराखंड में वन्यजीवों की संख्या में वृद्धि (जैसे बाघ, गुलदार, हाथी) के कारण मानव-वन्यजीव संघर्ष बढ़ रहा है। राज्य की 14.77% भूमि संरक्षित क्षेत्रों के रूप में है, जो पूरे देश में सबसे अधिक है। इससे ग्रामीण इलाकों में खतरा बढ़ गया है, और कई गांव खाली हो रहे हैं।
कब और कैसे लिया गया फैसला?
- यह घोषणा 3 अक्टूबर 2025 को वन्यजीव सप्ताह के शुभारंभ के दौरान मुख्यमंत्री धामी ने की। उन्होंने देहरादून चिड़ियाघर में कहा कि सरकार जनता की सुरक्षा को प्राथमिकता देगी।
- हाल ही में 22 नवंबर 2025 को मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव और वन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की, जिसमें वन्यजीव संघर्ष पर चिंता जताई गई। इसी बैठक में मुआवजा वृद्धि की पुष्टि हुई।
- यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्देशों से भी प्रेरित है। 18 नवंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को मानव-वन्यजीव संघर्ष को प्राकृतिक आपदा घोषित करने और मृत्यु पर 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया था।
प्रभाव और आगे की योजना:
चुनौतियां: विशेषज्ञों का कहना है कि मुआवजा बढ़ाने के साथ-साथ संघर्ष रोकने के लिए ठोस प्रबंधन योजना जरूरी है, ताकि गांवों का पलायन रुके।
लाभार्थी: मुख्य रूप से जंगलों से सटे ग्रामीण इलाकों (जैसे पौड़ी, टिहरी, नैनीताल) के परिवार लाभान्वित होंगे, जहां गुलदार-भालू का आतंक बढ़ा है।
अन्य उपाय: सरकार जागरूकता अभियान, सुरक्षा उपकरण (जैसे सोलर फेंसिंग) और इको-टूरिज्म मॉडल पर काम कर रही है। साथ ही, 1 लाख युवाओं को ‘सीएम यंग ईको-प्रिन्योर’ स्कीम के तहत वन्यजीव टूरिज्म से जोड़ा जाएगा।
