हरिद्वार मनसा देवी मंदिर
हरिद्वार। हरिद्वार में मनसा देवी मंदिर में 27 जुलाई 2025 को सुबह भगदड़ मचने से एक दुखद हादसा हुआ। इस घटना में अभी तक 6 लोगों की मौत की पुष्टि की जा चुकी है, और 35 से अधिक लोग घायल होने की खबर है। यह हादसा मंदिर मार्ग पर सीढ़ियों के पास हुआ, जहां भारी भीड़ जमा होने के कारण स्थिति अनियंत्रित हो गई। अभी तक की जानकारी के अनुसार, बिजली का करंट फैलने की अफवाह ने श्रद्धालुओं में दहशत पैदा की, जिससे भगदड़ मची। हालांकि, गढ़वाल मंडल आयुक्त विनय शंकर पांडे ने करंट की बात को खारिज किया है।
हादसे का कारण: मंदिर में कांवड़ यात्रा के बाद रास्ते खुलने से भारी भीड़ जमा हुई थी, खासकर रविवार का अवकाश होने के कारण और पड़ोसी राज्यों (उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा) से श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचे थे। इसके अलावा मंदिर का मार्ग और सीढ़ियां संकरी है.
हरिद्वार के एसएसपी प्रमेंद्र सिंह डोभाल के अनुसार, मंदिर मार्ग से 100 मीटर नीचे सीढ़ियों पर बिजली के तार टूटने की अफवाह फैलने से लोग घबरा गए और एक-दूसरे पर गिरने लगे, जिससे हादसा हुआ।
MANSA DEVI TEMPLE STAMPEDE – घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस, उत्तराखंड एसडीआरएफ, और अन्य बचाव दल मौके पर पहुंचे। घायलों को तुरंत नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया, जहां गंभीर रूप से घायल लोगों को हायर सेंटर रेफर किया गया। सभी फंसे हुए लोगों को निकाल लिया गया है, और स्थिति अब नियंत्रण में बताई जा रही है।
MANSA DEVI TEMPLE STAMPEDE – उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया और सोशल मीडिया पर जानकारी दी कि वे स्थानीय प्रशासन के संपर्क में हैं और स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। गढ़वाल मंडल आयुक्त विनय शंकर पांडे घटनास्थल का दौरा करने के लिए रवाना हो चुके है और हादसे के कारणों की जांच शुरू कर दी गई है।
हरिद्वार के एसएसपी ने बताया कि अफवाह की जांच की जा रही है कि इसे किसने और क्यों फैलाया।
प्रत्यक्षदर्शियों का बयान: एक घायल श्रद्धालु ने बताया कि संकरे रास्ते में अचानक भीड़ बढ़ने से लोग एक-दूसरे पर गिर गए, जिससे भगदड़ मच गई। एक वीडियो में दिखा कि मंदिर के बाहर भारी भीड़ थी, और धक्का-मुक्की के बीच लोग चीख रहे थे। बच्चों के रोने की आवाजें भी सुनाई दीं।
मंदिर की स्थिति और सुरक्षा सवाल: मनसा देवी मंदिर शिवालिक पर्वत श्रृंखला के बिल्वा पर्वत पर स्थित है, और वहां पहुंचने के लिए संकरी सीढ़ियां या रोपवे का उपयोग होता है। हादसे ने मंदिर में भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, क्योंकि सप्ताहांत पर श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ जाती है। मंदिर में रोजाना सैकड़ों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं, और नवरात्रि, कुंभ, और सावन जैसे अवसरों पर भीड़ और बढ़ जाती है।
