लोकसभा चुनाव 2024 – देश में अगले कुछ माह में लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं. इससे पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड पर रोक लगा दी है, इसके बाद राजनैतिक पार्टियों को मिलने वाले चंदे में कमी आने का अनुमान है. 2019 में हुआ लोकसभा चुनाव, दुनिया का सबसे महंगा चुनाव था.
सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (सीएमएस) के अनुसार, 2019 में चुनावों में 50,000 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान जताया गया था, लेकिन असल में यह 60,000 करोड़ लगा. लोकसभा चुनाव 5 सालों में होते हैं और उतनी ही तेजी से खर्चे बढ़ते जाते हैं.
2009 में हुए 15वें लोकसभा चुनाव का बजट भारत में उससे पहले हुए चुनावों से 15 गुना ज्यादा था. इससे पहले की बात करें तो 1993 में लोकसभा चुनावों में 9000 करोड़, 1999 में 10,000 करोड़, 2004 में 14,000 करोड़, 2009 में 20,000 करोड़, 2014 में 30,000 करोड़ और 2019 में 60,000 करोड़ रुपये चुनाव पर खर्च हुए.
लोकसभा चुनाव 2024– इस लिहाज से देखें तो 2014 के चुनाव का खर्च 2009 से डेढ़ गुना बढ़ा था. इसी तरह 2019 के चुनाव में 2014 के हिसाब से लागत दोगुनी हुई थी. इस आंकड़े को आधार मानें तो 2024 के चुनाव में 1 लाख 20 हजार करोड़ रुपये का खर्च आ सकता है. जो दुनिया का सबसे महंगा चुनाव हो सकता है.
लोकसभा चुनाव 2024 – ऐसे होता है चुनाव खर्च का बंटवारा
यदि 2019 में चुनाव पर खर्च हुई राशि की बात करें तो इसमें से 20 प्रतिशत यानी 12 हजार करोड़ रुपये चुनाव आयोग ने चुनाव प्रबंधन पर खर्च किए. 35 प्रतिशत यानी 25000 करोड़ रुपए राजनैतिक पार्टियों द्वारा खर्च किया गया. 25000 करोड़ में से 45% बीजेपी ने खर्च किए जबकि कांग्रेस ने 20% और बाकी ने 35% खर्च किया. 2019 में अकेले 5000 करोड़ रुपये सोशल मीडिया पर खर्च किए गए.
लोकसभा चुनाव 2024 – उम्मीदवार की खर्च लिमिट तय, पार्टी पर पाबंदी नहीं
लोकसभा चुनाव 2024 – चुनाव आयोग द्वारा उम्मीदवार के खर्च पर लिमिट तय की गई है, लेकिन पार्टियों के ऊपर कोई पाबंदी नहीं है. लोकसभा चुनाव में पार्टी उम्मीदवारों के समर्थन करने वाली रैली, प्रचार-प्रचार और दूसरी चीजों में खर्च करती है. सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज ने चुनावी खर्च को लेकर जो रिपोर्ट जारी की है, उसके हिसाब से हर लोकसभा क्षेत्र में औसतन 100 करोड रुपये से अधिक खर्च हुए हैं. इसको अगर वोटर के हिसाब से देखा जाए तो यह ₹700 प्रति वोटर आएगा. वैसे चुनाव खर्च का यह अनुमान भर है.